Mahabharat Facts: महाभारत के प्रमुख योद्धाओं में जयद्रथ भी एक था। कुरुक्षेत्र के युद्ध में जयद्रथ ने कौरवों का साथ दिया था। अभिमन्यु वध में जयद्रथ की महत्वपूर्ण भूमिका थी। अर्जुन ने युद्ध के दौरान जयद्रथ का वध किया था।
Interesting facts related to Jayadratha: महाभारत में कईं ऐसे पात्र हैं जिनका लोगों ने सिर्फ नाम ही सुना है। उनके बारे में ज्यादा किसी को जानकारी नहीं है। जयद्रथ भी महाभारत का ऐसा ही एक पात्र है। बहुत कम लोगों को पता है कि अभिमन्यु वध में जयद्रथ की खास भूमिका थी, क्योंकि उसी ने अभिमन्यु को छोड़कर अन्य सभी योद्धाओं को चक्रव्यूह के अंदर प्रवेश करने से रोक दिया था। जानें कौन था जयद्रथ व इससे जुड़ी रोचक बातें…
कहां का राजा था जयद्रथ, उसका कौरवों से क्या संबंध था?
महाभारत के अनुसार, जयद्रथ सिंधु देश का राजा था, इसलिए उसे सिंधुराज भी कहते थे। जयद्रथ का विवाह कौरवों की एकमात्र बहन दु:शला से हुआ था। इसलिए वह कौरवों के साथ-साथ पांडवों का भी जमाई लगता था। जयद्रथ पराक्रमी योद्धा था। वह शुरू से ही द्रौपदी पर बुरी नजर रखता था।
जब जयद्रथ ने किया द्रौपदी का हरण
जब पांडव वन में रह रहे थे, तब एक दिन जयद्रथ उसी जंगल में गुजरा। जब जयद्रथ ने देखा कि आश्रम में द्रौपदी अकेली है तो जयद्रथ ने उसका हरण कर लिया। बाद में अर्जुन और भीम ने पीछा कर जयद्रथ को पकड़ लिया। भीम तो जयद्रथ को मारना चाहते थे, लेकिन युधिष्ठिर ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। तब भीम ने जयद्रथ के बाल काटकर पांच चोटियां रख दी और अपना दास बना लिया। जयद्रथ की ऐसी हालत देखकर युधिष्ठिर ने उसे मुक्त कर दिया।
जयद्रथ के पास था अनोखा वरदान
जब पांडवों से जयद्रथ का अपमान कर उसे जीवित छोड़ दिया तो वह अपने राज्य नहीं गया और अपने अपमान का बदला लेने की सोचने लगा। जयद्रथ ने हरिद्वार जाकर घोर तपस्या की और भगवान शंकर को प्रसन्न कर लिया। भगवान शिव ने उसे दर्शन दिए और वरदान मांगने को कहा। जयद्रथ ने पांडवों को जीतने का वरदान मांगा। महादेव ने कहा कि ‘युद्ध में केवल एक दिन तुम अर्जुन को छोड़ शेष चार पांडवों को पीछे हटा सकते हो।’ जयद्रथ ये वरदान पाकर खुश हो गया।
इसलिए मारा गया अभिमन्यु
जब युद्ध के दौरान गुरु द्रोणाचार्य ने चक्रव्यूह बनाया तो इसके मुख्य द्वार पर जयद्रथ को नियुक्त किया गया। चक्रव्यूह तोड़ने के लिए अभिमन्यु से उसका भयंकर युद्ध हुआ। अभिमन्यु ने अपने पराक्रम से जयद्रथ को हरा दिया और चक्रव्यूह में घुस गया। अभिमन्यु के पीछे भीम, नकुल और सहदेव आदि योद्धा थे। शिव के वरदान से जयद्रथ ने उन सभी को रोक दिया और चक्रव्यूह में फंसने के कारण अभिमन्यु की मृत्यु हो गई।
अर्जुन ने किया जयद्रथ का वध
अर्जुन को जब ये पता चला कि अभिमन्यु की मृत्यु का मुख्य कारण जयद्रथ है तो उन्होंने प्रतिज्ञा ली कि- ‘कल सूर्यास्त के पहले मैं जयद्रथ का वध कर दूंगा या स्वयं आत्मदाह कर लूंगा।’ अर्जुन की प्रतिज्ञा के बारे में जानकर गुरु द्रोणाचार्य ने अगले दिन चक्र शकटव्यूह की रचना की, जिससे अर्जुन किसी भी तरह जयद्रथ तक न पहुंच सके। अगले दिन शाम तक अर्जुन की वध नहीं कर सके, तब श्रीकृष्ण ने अपनी माया से कुछ देर के लिए सूर्य को ढंक दिया। जयद्रथ को लगा कि सूर्यास्त हो गया, से सोचकर वह स्वयं अर्जुन के सामने आ गया और मारा गया।
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