
Interesting facts related to Mahatma Vidur: महाभारत की कथा जितनी रोचक है, उतनी ही विचित्र भी हैं। इसमें अनेक पात्र हैं जो देवताओं का अवतार हैं। ऐसे ही एक पात्र हैं महात्मा विदुर। विदुर धृतराष्ट्र के छोटे भाई भी थे और हस्तिनापुर के महामंत्री भी। विदुर नीतिकुशल थे और उन्होंने सदैव धर्म का साथ दिया। इसलिए उनका प्रेम पांडवों के प्रति अधिक था। महात्मा विदुर से जुड़ी ऐसी अनेक बातें हैं, जिनके बारे में कम ही लोगों को पता है। जानें महात्मा विदुर से जुड़ी कुछ ऐसी ही बातें…
किस देवता के अवतार थे महात्मा विदुर?
महाभारत के अनुसार, महात्मा विदुर यमराज के अवतार थे। कथा के अनुसार, माण्डव्य नाम के एक परम तपस्वी ऋषि थे। एक बार बिना कारण उन्हें राजा ने दंड दे दिया। तब ने सीधे यमराज के पास गए और उन्होंने पूछा कि ‘मेरे किस अपराध का मुझे ये दंड मिला है।’ तब यमराज ने कहा कि जब आप छोटे थे तो आपने एक कीड़े की पूंछ में सुई चुभो दी थी। इसी अपराध के कारण आपको ये दंड मिला है। ऋषि ने कहा कि ‘बचपन में किए गए इतने से अपराध का तुमने मुझे बड़ा दंड दिया। इसलिए अब तुम्हें धरती पर दासी पुत्र के रूप में जन्म लेना पड़ेगा।’ इसी श्राप के कारण यमराज को धरती पर महात्मा विदुर के रूप में जन्म लेना पड़ा।
कैसे हुई महात्मा विदुर की मृत्यु?
जब युधिष्ठिर हस्तिनापुर के राजा बने तो कुछ समय बाद धृतराष्ट्र, गांधारी, कुंती, संजय और विदुर वानप्रस्थ आश्रम में रहते हुए कठोर तप करने लगे। तब एक दिन सभी पांडव उनसे मिलने वन में गए तो वहां उन्हें विदुर दिखाई नहीं दिए। जब युधिष्ठिर उन्हें खोजने निकले तो विदुर उन्हें एक पेड़ के नीचे खड़े दिखाई दिए। उसी समय विदुरजी के शरीर से प्राण निकले और युधिष्ठिर में समा गए। युधिष्ठिर के मुख से यह बात सुनकर सभी को बहुत आश्चर्य हुआ।
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