Dahi Handi 2023: जन्माष्टमी पर क्यों फोड़ी जाती है दही हांडी, कैसे शुरू हुई ये परंपरा?

Dahi Handi 2023: भारत को त्योहारों का देश कहा जाता हैं। हर रोज कोई न कोई त्योहार होता है। इन त्योहारों से कई रोचक परंपराएं भी जुड़ी होती हैं। दही हांडी भी जन्माष्टमी से जुड़ी ऐसी ही एक मजेदार परंपरा है।

 

Manish Meharele | Published : Sep 5, 2023 11:02 AM IST

उज्जैन. इस बार जन्माष्टमी (Janmashtami 2023) का पर्व 6 व 7 सितंबर को यानी 2 दिन मनाया जाएगा। इस पर्व से कई परंपराएं जुड़ी हुई हैं जो इसे और भी खास बनाती हैं। ऐसी ही एक परंपरा है दही हांडी की। वैसे तो दही हांडी की ये परंपरा पूरे देश में मनाई जाती है, लेकिन इसका सबसे ज्यादा क्रेज महाराष्ट्र में देखने को मिलता है। (Dahi Handi 2023) ऊंची-ऊंची बिल्डिंगों में बांधी गई दही हांडी को फोड़ने के लिए युवाओं का हुजूम उमड़ पड़ता है। इस परंपरा के पीछे कई कथाएं और लाइफ मैनेजमेंट छिपे हैं। आगे जानिए इस परंपरा से जुड़ी खास बातें…

ऐसे शुरू हुई दही हांडी परंपरा की परंपरा (Kaise Shuru Hui Dahi Handi Ki Parampra)
श्रीमद्भागवत में भगवान श्रीकृष्ण के बचपन का बहुत ही सुंदर वर्णन किया गया है। इसमें बताया गया है कि बाल्यकाल के दौरान श्रीकृष्ण अपने मित्रों के साथ मिलकर गोकुलवासियों के घरों से माखन चुराकर अपने गरीब मित्रों को खिला देते थे। जब ये बात गांव की महिलाओं की पता चली तो उन्होंने माखन की मटकी को ऊंचाई पर बांधना शुरू कर दिया। इस स्थिति में श्रीकृष्ण अपने दोस्तों से एक ऊंचा और गोल घेरा बनाने को कहते और इसके ऊपर चढ़कर माखन चुरा लेते थे। माखन चुराने के कारण ही उनका एक नाम माखनचोर भी पढ़ा। श्रीकृष्ण की इसी लीला का आनंद लेने के लिए कालांतर में दही हांडी की परंपरा शुरू हुई।

इन बातों का रखें खास ध्यान (Dahi Handi Life Management)
श्रीकृष्ण द्वारा मक्खन चुराना सिर्फ एक सांसारिक लीला ही नहीं है बल्कि इसमें लाइफ मैनेजमेंट के कई गहरे सूत्र भी छिपे हैं। इसे समझना हम सभी के लिए बहुत जरूरी है। जानिए इन लाइफ मैनेजमेंट सूत्रों के बारे में…
1. लाइफ मैनेजमेंट के दृष्टिकोण से देखें तो मक्खन संचित धन के समान है। यदि हमारे पास आवश्यकता से अधिक धन है तो इससे हमें दूसरों की मदद करना चाहिए न कि ज्यादा से ज्यादा धन एकत्रित करने के बारे में सोचना चाहिए।
2. मक्खन खाने से शरीर में चुस्ती, स्फूर्ति बनी रहती है और बीमारियां भी नहीं होती। श्रीकृष्ण द्वारा बचपन में मक्खन खाना इस बात का प्रतीक है को बाल्यकाल में बच्चों को सही आहार मिलना अति आवश्यक है, जैसे दूध, दही, मक्खन आदि।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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