
इस बार भगवान शिव की भक्ति का पर्व महाशिवरात्रि 8 मार्च, शुक्रवार को मनाया जाएगा। इस दिन शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है। इन मंदिरों में 12 ज्योतिर्लिंगों का खास महत्व है, इनमें से तीसरे स्थान पर आता है महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग। ये मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। इस मंदिर से कईं चमत्कारी मान्यताएं जुड़ी हुई हैं और इसे भी खास बनाती हैं। यही कारण है रोज लाखों भक्त यहां दर्शन करने आते हैं। महाशिवरात्रि के मौके पर जानिए महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से जुड़ी खास बातें…
देश भर के 12 ज्योतिर्लिंगों में से सिर्फ महाकालेश्वर ही दक्षिणमुखी हैं। दक्षिण दिशा के स्वामी यमराज हैं। यमराज यानी काल और काल के स्वामी हुए महाकाल। दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग होने के कारण ही महाकालेश्वर को तंत्र पूजा के लिए भी श्रेष्ठ माना जाता है। मान्यता है कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है। उज्जैन के लोग महाकाल को अपना राजा मानते हैं। श्रावण मास में भगवान महाकाल की सवारी भी निकाली जाती है। इस दौरान उज्जैन का माहौल पूरी तरह से शिवमय हो जाता है।
महाकाल मंदिर में रोज सबह विश्व प्रसिद्ध भस्मारती होती है। इस आरती को देखने के लिए देश-दुनिया से लोग यहां आते हैं। भस्मारती यानी भस्म से भगवान महाकाल की आरती। कहते हैं कि पहले के समय में भस्मारती के लिए मुर्दे की भस्म का उपयोग किया जाता था, लेकिन बाद में ये परंपरा बंद हो गई। वर्तमान में गाय के गोबर से उपलों को जलाकर भस्म तैयार की जाती है, उसी से भगवान महाकाल की आरती की जाती है।
महाकाल मंदिर तीन मंजिला है। सबसे नीचे गर्भ गृह में महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग स्थित है। दूसरी मंजिल पर भी एक शिवलिंग है, जिसे ओमकारेश्वर कहा जाता है। सबसे ऊपरी मंजिल में नागचंद्रेश्वर का मंदिर है। खास बात ये है कि नागचंद्रेश्वर का मंदिर साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी पर ही खुलता है। मान्यता है कि इस स्थान पर तक्षक नाग ने तपस्या की थी और आज भी वे यहीं गुप्त रूप से निवास करते हैं। इसलिए इस मंदिर को साल में सिर्फ एक बार ही खोला जाता है।
महाकाल मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है। इतिहासकारों का कहना है कि महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग द्वापर युग से भी पहले का है यानी 5 हजार साल से भी ज्यादा प्राचीन। जब भगवान श्रीकृष्ण उज्जैन में शिक्षा प्राप्त करने आए तो उन्होंने यहां महाकाल स्त्रोत का गान किया था। मुगल काल के दौरान इस मंदिर को भी आक्रांताओं ने ध्वस्त कर दिया था। बाद में इसे हिंदू राजाओं ने पुन: बनवा दिया। वर्तमान में जो मंदिर दिखाई देता है, उसका निर्माण सिंधिया राजाओं ने करवाया है।
शिवपुराण के अनुसार, किसी समय उज्जैन में एक ब्राह्मण रहता था, वो भगवान महाकाल का परम भक्त था। उसी समय दूषण नाम के एक राक्षस ने उज्जैन में आतंक मचाया हुआ था। उस राक्षस के आतंक को खत्म करने के लिए उस ब्राह्मण ने भगवान शिव की तपस्या की। ब्राह्मण की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव धरती फाड़ कर महाकाल के रूप में प्रकट हुए और दूषण का वध कर नगर की रक्षा की। बाद में भक्तों के आग्रह पर भगवान शिव उसी स्थान पर महाकाल ज्योतिर्लिंग के रूप में स्थापित हो गए।
- उज्जैन से सबसे नजदीकी एयरपोर्ट इंदौर में है, जो यहां से करीब 58 किलोमीटर है। वहां से बस या टैक्सी से उज्जैन आसानी से पहुंचा जा सकता है।
- उज्जैन देश के सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्गे से भी जुड़ा है। नेशनल हाइवे 48 और नेशनल हाइवे 52 इसे देश के प्रमुख शहरों से जोड़ते हैं।
- उज्जैन देश के सभी बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, कलकत्ता आदि से रेलमार्ग से जुड़ा है। रेल से भी यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है।
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