शिव महापुराण में 12 ज्योर्तिलिंगों की कथा मिलती है। इसमें सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा भी है, उसके अनुसार ‘ चंद्रमा का विवाह दक्ष प्रजापति ने अपनी 27 कन्याओं से करवाया था। लेकिन चंद्रमा अपनी पत्नियों 27 पत्नियों में से रोहिणी को सबसे अधिक प्रेम करते थे, ये बात उनकी अन्य पत्नियों को पसंद नहीं थीं।
उन्होंने एक दिन ये बात जाकर अपने पिता दक्ष प्रजापति को बता दी। पुत्रियों के साथ इस प्रकार भेदभाव होता देख दक्ष प्रजापित क्रोधित हो गए और उन्होंने चंद्रमा को क्षय रोग हो जाने का श्राप दे दिया। इस श्राप के कारण चंद्रमा तेजहीन हो गए। तब उन्होंने धरती पर आकर एक शिवलिंग की स्थापना की।
शिवलिंग की स्थापना करने के बाद चंद्रमा ने इसी स्थान पर घोर तपस्या कर शिव को प्रसन्न किया। तब शिवजी प्रकट हुए और उन्होंने चंद्रमा को न सिर्फ दक्ष प्रजापति के श्राप से मुक्त बल्कि अपने मस्तक पर भी स्थान दिया। कर दिया। चंद्रमा का एक नाम सोम भी है, इसलिए ये ज्योतिर्लिंग सोमनाथ कहलाया।