Nirjala Ekadashi 2024 Date: कब है निर्जला एकादशी, इसे भीमसेनी एकादशी क्यों कहते हैं?

Nirjala Ekadashi 2024 Date: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का विशेष महत्व माना गया है। वैसे तो साल में कुल 24 एकादशी होती है, लेकिन इन सभी में निर्जला एकादशी को सबसे खास माना गया है। इस बार ये एकादशी जून 2024 में है।

 

Manish Meharele | Published : Jun 10, 2024 5:47 AM IST / Updated: Jun 14 2024, 11:18 AM IST

Nirjala Ekadashi 2024 Date Kab Hai: धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी कहते हैं। साल में आने वाली सभी 24 एकादशियों में से इसका महत्व सबसे अधिक माना गया है। मान्यता है कि साल की 24 एकादशियों का फल एक मात्र इसी एकादशी का व्रत करने से मिल जाता है। इसलिए इसे साल की सबसे बड़ी एकादशी भी कहा जाता है। आगे जानिए इस बार कब किया जाएगा निर्जला एकादशी व्रत और इससे जुड़ी खास बातें…

कब करें निर्जला एकादशी व्रत 2024? (Kab Kare Nirjala Ekadashi Vrat 2024)
पंचांग के अनुसार, साल 2024 में निर्जला एकादशी तिथि 2 दिन रहेगी, 17 और 18 जून। इनमें से 17 जून, सोमवार को निर्जला एकादशी का व्रत किया जाएगा। वहीं कुछ लोग 18 जून, मंगलवार को भी ये व्रत करेंगे। 17 जून, सोमवार को शिव, सिद्ध, श्रीवत्स और त्रिपुष्कर नाम के 4 शुभ योग भी रहेंगे, जिससे इस व्रत का महत्व और भी बढ़ गया है। 

इस एकादशी का नाम निर्जला क्यों?
निर्जला का शाब्दिक अर्थ है बिना जल यानी पानी के। इस एकादशी का ये नाम इसीलिए रखा गया है क्योंकि इस व्रत में पानी भी नहीं पिया जाता। ज्येष्ठ मास की भीषण गर्मी में बिना पानी और भोजन के पूरे दिन रहना बिल्कुल भी आसान नहीं है। इस एकादशी के नियम साल भर की सभी एकादशियों में से सबसे कठिन होते हैं। यही कारण है कि इस एकादशी को साल की सबड़े बड़ी एकादशी कहते हैं।

निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी क्यों कहते हैं? (Bhimseni Ekadashi 2024 Kab Hai)
निर्जला एकादशी का एक नाम भीमसेनी एकादशी भी है। इसकी कथा महाभारत में मिलती है। इसके अनुसार, एक बार महर्षि वेदव्यास हस्तिनापुर आए और पांडवों से मिले। बातों ही बातों में महर्षि ने सभी एकादशियों का महत्व पांडवों को बताया और इस तिथि पर व्रत करने को कहा।
महर्षि वेदव्यास की बात सुनकर पांडु पुत्र भीम ने कहा कि ‘हे गुरुदेव, मेरे पेट में हर समय जठराग्नि जलती रहती है, जिसे शांत करने के लिए मुझे निरंतर खाना पड़ता है। मेरे लिए तो एक समय भूखा रहना भी मुश्किल है, ऐसी स्थिति में क्या मैं एकादशी व्रत के पुण्य से वंचित रहा जाऊंगा।’
भीम की बात सुनकर महर्षि वेदव्यास ने कहा कि ‘तुम ज्येष्ठ मास में आने वाली निर्जला एकादशी का ही व्रत यदि कर लोगे तो तुम्हें साल भर की एकादशी का पुण्य फल प्राप्त हो जाएगा।’ भीमसेन सिर्फ निर्जला एकादशी का ही व्रत करते थे। इसलिए इस एकादशी का नाम भीमसेनी एकादशी भी है।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

 

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