Kab Hai Parshuram Jayanti 2024: जन्म से ब्राह्मण लेकिन कर्म से क्षत्रिय, जानें क्यों भगवान परशुराम इतने क्रोधी थे?

Parshuram Jayanti 2024: भगवान परशुराम का वर्णन अनेक धर्म ग्रंथों जैसे रामायण, महाभारत, श्रीमद् भागवत आदि में मिलता है। ये ब्राह्मण थे लेकिन इसके बाद भी इतना स्वभाव अति क्रोधी था। इनसे क्षत्रिय भी डरते थे।

 

Manish Meharele | Published : May 5, 2024 3:35 AM IST

Interesting Fact Of Lord Parshuram: धर्म ग्रंथों के अनुसार, परशुराम भगवान विष्णु के अवतार थे। परशुराम जन्म से तो ब्राह्मण थे, लेकिन इनका स्वभाव क्षत्रियों के समान क्रोधी था। इन्होंने क्रोध में आकर 21 बार धरती को क्षत्रिय विहिन कर दिया था यानी संसार के सभी क्षत्रियों का वध कर दिया था। ब्राह्मण कुल में जन्म लेने के बाद भी परशुराम इतने क्रोधी क्यों थे, इसके बारे में कम ही लोगों को पता है। इससे संबंधित एक कथा ग्रंथों में मिलती है, जो इस प्रकार है…

महाभारत में है ये कथा
महाभारत में भगवान परशुराम का काफी वर्णन मिलता है। उसके अनुसार, महर्षि भृगु नाम के एक परम तपस्वी ऋषि थे। उनका पुत्र का नाम ऋचिक था, ये भी पिता के ही समान थे। विवाह योग्य होने पर महर्षि भृगु ने ऋचिक का विवाह राजा गाधि की पुत्री सत्यवती से करवा दिया।

महर्षि भृगु ने दिए 2 फल
राजा गाधि की एक मात्र संतान सत्यवती थी। अपने पिता का वंश बढ़ाने के लिए सत्यवती ने अपने ससुर महर्षि भृगु से याचना की। महर्षि भृगु ने सत्यवती को दो फल दिए और कहा कि ‘तुम गूलर के वृक्ष का तथा तुम्हारी माता पीपल के वृक्ष का आलिंगन करने के बाद ये फल खा लेना।’

सत्यवती ने कर दी गलती
सत्यवती और उनकी माता ने गलत वृक्षों का आलिंगन कर लिया। महर्षि भृगु को ये बात पता चली तो उन्होंने कहा कि ‘तूने गलत वृक्ष का आलिंगन किया है। इसलिए तेरा पुत्र ब्राह्मण होने पर भी क्षत्रिय गुणों वाला रहेगा और तेरी माता का पुत्र क्षत्रिय होने पर भी ब्राह्मणों की तरह रहेगा।’

इसलिए क्रोधी थे परशुराम
महर्षि भृगु की बात सुनकर सत्यवती ने कहा ‘मेरा पुत्र क्षत्रिय गुणों वाला न हो भले ही मेरा पौत्र ऐसा हो।‘ महर्षि भृगु ने कहा “ऐसा ही होगा।’ सत्यवती के गर्भ से जमदग्रि मुनि का जन्म हुआ। इनका विवाह रेणुका से हुआ। मुनि जमदग्रि के चौथे पुत्र हैं परशुराम, जिनका स्वभाव क्षत्रियों के समान है।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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