Pradosh Vrat 2024: 7 फरवरी को करें बुध प्रदोष व्रत, सिर्फ ढाई घंटे रहेगा पूजा मुहूर्त, जानें पूजा विधि और आरती

Pradosh Vrat February 2024: हर महीने की दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। ये व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए किया जाता है। इस व्रत को करने से हर तरह की परेशानी दूर हो जाती है और सुख-समृद्धि बढ़ती है।

 

Manish Meharele | Published : Feb 6, 2024 4:12 AM IST

February 2024 Mai Pradosh Vrat Kab Kare: प्रदोष व्रत का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है। ये व्रत भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए हर महीने के दोनों पक्षों की त्रयोदशी तिथि को किया जाता है। साल 2024 के दूसरे महीने फरवरी में ये व्रत कब किया जाएगा, आगे जानिए…

फरवरी 2024 में कब करें प्रदोष व्रत?
पंचांग के अनुसार, माघ मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 07 फरवरी, बुधवार की दोपहर 02:02 से 08 फरवरी, गुरुवार की सुबह 11:17 तक रहेगी। चूंकि प्रदोष व्रत में शिव की पूजा शाम को करने का विधान है, इसलिए ये व्रत 7 फरवरी, बुधवार को ही किया जाएगा। चूंकि ये व्रत बुधवार को होगा, इसलिए इसे बुध प्रदोष कहा जाएगा। पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:05 से रात 08:41 तक रहेगा।

इस विधि से करें रवि प्रदोष व्रत (Ravi Pradosh 2024 Puja Vidhi)
7 फरवरी, बुधवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और हाथ में चावल-पानी लेकर व्रत-पूजा का संकल्प लें। दिन भर व्रत के नियमों का पालन करें यानी बुरे विचार मन में न लाएं और किसी पर क्रोध न करें। दिन भर शिवजी के मंत्र का जाप करते रहें। शाम को ऊपर बताए गए मुहूर्त में शिवजी की पूजा करें। पहले शुद्ध घी का दीपक जलाएं। इसके बाद बिल्व पत्र, धतूरा, रोली, चावल आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाएं। अंत में शिवजी को भोग लगाएं और आरती करें। इस तरह महादेव की पूजा करने से आपकी हर इच्छा पूरी हो सकती है।

भगवान शिव की आरती (Lord shiva Aarti)
जय शिव ओंकारा प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा
ओम जय शिव ओंकारा प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा
एकानन चतुरानन पंचांनन राजे स्वामी पंचांनन राजे
हंसानन गरुड़ासन हंसानन गरुड़ासन
वृषवाहन साजे ओम जय शिव ओंकारा
दो भुज चारु चतुर्भूज दश भुज ते सोहें स्वामी दश भुज ते सोहें
तीनों रूप निरखता तीनों रूप निरखता
त्रिभुवन जन मोहें ओम जय शिव ओंकारा
अक्षमाला बनमाला मुंडमालाधारी स्वामी मुंडमालाधारी
त्रिपुरारी धनसाली चंदन मृदमग चंदा
करमालाधारी ओम जय शिव ओंकारा
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघाम्बर अंगें स्वामी बाघाम्बर अंगें
सनकादिक ब्रह्मादिक ब्रह्मादिक सनकादिक
भूतादिक संगें ओम जय शिव ओंकारा
करम श्रेष्ठ कमड़ंलू चक्र त्रिशूल धरता स्वामी चक्र त्रिशूल धरता
जगकर्ता जगहर्ता जगकर्ता जगहर्ता
जगपालनकर्ता ओम जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका स्वामी जानत अविवेका
प्रणवाक्षर के मध्यत प्रणवाक्षर के मध्य
ये तीनों एका ओम जय शिव ओंकारा
त्रिगुण स्वामीजी की आरती जो कोई नर गावें स्वामी जो कोई जन गावें
कहत शिवानंद स्वामी कहत शिवानंद स्वामी
मनवांछित फल पावें ओम जय शिव ओंकारा
ओम जय शिव ओंकारा प्रभू जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा
ओम जय शिव ओंकारा प्रभू हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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