Rambha Teej 2024: कब करें रंभा तीज व्रत? जानें पूजा विधि, महत्व और इससे मिलने वाले लाभ के बारे में

Rambha Teej 2024: धर्म ग्रंथों के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर व्रत किया जाता है। इसे रंभा तीज कहते हैं। इस व्रत को करने से कईं तरह के फायदे हमें मिलते हैं।

 

Manish Meharele | Published : Jun 7, 2024 3:49 AM IST

Rambha Teej Puja Vidhi: पुराणों के अनुसार, कुवांरी लड़कियां मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए कईं व्रत करती हैं, इन्हीं में से एक है रंभा तीज। ये व्रत हर साल ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर किया जाता है। सुहागिन महिलाएं भी ये व्रत पति की लंबी उम्र और योग्य संतान के लिए करती हैं। इस व्रत में भगवान शिव, देवी पार्वती और श्रीगणेश की पूजा की जाती है। स्वर्ग की अप्सरा रंभा के नाम से इस व्रत का नाम रखा गया है। आगे जानिए इस बार कब है रंभा तीज, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त व अन्य खास बातें…

कब है रंभा तीज 2024? (Rambha Teej 2024 Kab Hai)
पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 08 जून, शनिवार की दोपहर 03:55 से शुरू होगी, जो अगले दिन यानी 09 जून, रविवार की दोपहर 03:44 तक रहेगी। चूंकि तृतीया तिथि का सूर्योदय 9 जून की सुबह होगा, इसलिए इसी दिन रंभा तीज का व्रत किया जाएगा।

इस विधि से करें ये व्रत रंभा तीज व्रत-पूजा (Rambha Teej 2024 Puja Vidhi)
- रंभा तीज यानी 9 जून, रविवार की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करें और हाथ में जल-चावल लकर व्रत-पूजा का संकल्प लें।
- घर में किसी साफ स्थान पर गंगा जल या गौमूत्र छिड़ककर उसे पवित्र करें। यहां एक बाजोट यानी पटिया स्थापित करें।
- इस पटिए पर भगवान शिव-पार्वती, श्रीगणेश की मूर्ति रख पांच दीपक लगाएं। सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें।
- इसके बाद 5 दीपकों की पूजा करें। तत्पश्चात मां पार्वती को कुमकुम, चंदन, हल्दी, मेहंदी, लाल फूल आदि सामग्री चढ़ाएं।
- भगवान शिव और गणेशजी को अबीर, गुलाल, चंदन और अन्य सामग्री चढ़ाएं। अंत में इच्छा अनुसार भोग भी लगाएं।
- इस प्रकार रंभा तीज का व्रत और पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि बनी रहती है और मनोकामना भी पूरी होती है।

ये है रंभा तीज व्रत का महत्व
पुराणों के अनुसार, जो महिला सच्चे मन से रंभा तीज का व्रत करती है, उसके घर-परिवार में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। उनके पति की उम्र लंबी होती है और संतान के कारण यश मिलता है। वहीं कुंवारी कन्याएं ये व्रत करती हैं तो उन्हें योग्य व मनचाहे वर की प्राप्ति होती है।

समुद्र मंथन से प्रकट हुई थी रंभा
ग्रंथों के अनुसार, स्वर्ग में रंभा नाम की एक अप्सरा है जो अत्यंत सुंदर है। समुद्र मंथन के दौरान रंभा प्रकट हुई थी। रंभा की सुंदरता देखते हुए देवराज इंद्र ने उसे अपनी राजसभा में स्थान दिया। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार रंभा ने विश्वामित्र की तपस्या भंग करने की कोशिश की थी। जिससे गुस्से में आकर विश्वामित्र ने उसे कई सालों तक पत्थर की मूर्ति बनी रहने का श्राप दे दिया। इसके बाद रंभा ने भगवान शिव-पार्वती की पूजा से सामान्य शरीर पाया।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।


 

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