Shani Amavasya 2025: कब है शनिश्चरी अमावस्या? जानें सही डेट और उपाय

Published : Aug 21, 2025, 05:06 PM IST
Shanichari Amavasya 2025

सार

Shani Amavasya 2025 Date: अमावस्या ज्योतिष शास्त्र में बताई गई 16 तिथियों में से एक है। जिन दिन शनिवार को अमावस्या तिथि का संयोग बनता है, उसे शनिश्चरी अमावस्या कहते हैं। धर्म ग्रंथों में इसे दुर्लभ संयोग माना गया है, जो साल में 1-2 बार ही बनता है।

August 2025 Mai Kab Hai Shanichari Amavasya: धर्म ग्रंथों में तिथि और वार को जोड़कर अनेक दुर्लभ संयोग बताए गए हैं। शनिश्चरी अमावस्या भी इनमें से एक है। इसका न सिर्फ धार्मिक बल्कि ज्योतिषीय महत्व भी है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रवीण द्विवेदी के अनुसार, जब भी शनिवार को अमावस्या तिथि होती है तो इसे शनिश्चरी अमावस्या कहते हैं। ऐसा दुर्लभ संयोग साल में 1 या 2 बार ही बनता है। इस बार अगस्त 2025 में शनिश्चरी अमावस्या का संयोग बन रहा है। आगे जानिए क्या है शनिश्चरी अमावस्या की सही डेट…

ये भी पढ़ें-

Rishi Panchami 2025: कब है ऋषि पंचमी, 27 या 28 अगस्त? नोट करें सही डेट

 

कब है शनि अमावस्या 2025?

पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास की अमावस्या तिथि 22 अगस्त, शुक्रवार की सुबह 11 बजकर 55 मिनिट से शुरू होगी जो 23 अगस्त, शनिवार की सुबह 11 बजकर 35 मिनिट तक रहेगी। चूंकि अमावस्या तिथि का सूर्योदय 23 अगस्त, शनिवार को होगा, इसलिए इसे शनिश्चरी अमावस्या माना जाएगा। शनिश्चरी अमावस्या से संबंधित व्रत, उपाय, पूजा आदि इसी दिन किए जाएंगे।

ये भी पढ़ें-

Pithori Amavasya 2025: कब है पिठोरी अमावस्या, 22 या 23 अगस्त?

 

क्यों खास है शनिश्चरी अमावस्या?

ज्योतिष शास्त्र में शनिश्चरी अमावस्या का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन शनिदेव की पूजा, दान, उपाय आदि करना बहुत ही शुभ माना गया है। मान्यता है कि जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती व ढैय्या का प्रभाव हो, वे यदि शनिश्चरी अमावस्या पर विशेष पूजा करें तो उनकी परेशानियां कम हो सकती हैं। इसलिए इस दिन प्रमुख शनि मंदिरों में भक्ति की भीड़ उमड़ती है।

शनिश्चरी अमावस्या के उपाय

1. शनिश्चरी अमावस्या पर शनिदेव की प्रतिमा का अभिषेक सरसों के तेल से करें। इस तेल में काले तिल और काली उड़द भी जरूर डालें। इससे शनिदेव की कृपा आप पर बनी रहेगी।
2. इस दिन शनि से संबंधित चीजों का दान भी विशेष रूप से किया जाता है जैसे- जूते-चप्पल, लोहे की चीजें, तेल, कंबल आदि।
3. शनिश्चरी अमावस्या पर शनिदेव के मंत्रों का जाप करें। ये है शनिदेव के कुछ आसान मंत्र-
ऊं प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः"
ऊं शं शनैश्चराय नमः"
ऊं शन्नोदेवीर-भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः
4. शनिश्चरी अमावस्या पर कुष्ठ रोगियों को भोजन करवाने का भी विशेष महत्व है। इससे भी शनिदेव प्रसन्न होते हैं।
5. किसी योग्य विद्वान से पूछकर शनिदेव का रत्न नीलम भी इस दिन धारण कर सकते हैं।


Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

PREV
Read more Articles on

Recommended Stories

Rukmini Ashtami 2025: कब है रुक्मिणी अष्टमी, 11 या 12 दिसंबर?
Mahakal Bhasma Aarti: नए साल पर कैसे करें महाकाल भस्म आरती की बुकिंग? यहां जानें