Navratri Tradition: वेश्याओं के आंगन की मिट्टी मिलाकर ही क्यों बनाई जाती हैं दुर्गा प्रतिमाएं?

Published : Oct 08, 2023, 09:45 AM IST
Navratri tradition 01

सार

Navratri Tradition: आश्विन मास में हर साल नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। नवरात्रि के पहले दिन देवी की विशाल प्रतिमाओं की स्थापना की जाती है। 9 दिनों तक इन देवी प्रतिमाओं की विधि-विधान से पूजा की जाती है। 

उज्जैन. धर्म ग्रंथों के अनुसार, आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक शारदीय नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है। इस बार माता की आराधना का ये पर्व 15 से 23 अक्टूबर तक मनाया जाएगा। (Navratri Tradition) नवरात्रि के पहले दिन माता दुर्गा की प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं। 9 दिनों तक इन प्रतिमाओं की पूजा विधि-विधान से की जाती है। इन दुर्गा प्रतिमाओं को बनाते समय कुछ बातों का विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है। आगे जानिए इस परंपरा से जुड़ी खास बातें…

इस खास मिट्टी के बिना नहीं बनती दुर्गा प्रतिमाएं
देश में कईं स्थानों पर बंगाली कलाकारों द्वारा देवी की प्रतिमाएं बनाई जाती हैं। बंगाली कलाकार बताते हैं कि माता दुर्गा की प्रतिमाएं बनाते समय इसमें वेश्याओं की आंगन की मिट्टी जरूर मिलाई जाती है। इसके बिना माता की मूर्ति का निर्माण नहीं किया जाता। ये परंपरा काफी पुरानी है और आज भी इसका पालन आवश्यक रूप से किया जाता है। मिट्टी लाने के लिए वेश्याओं से अनुमति भी ली जाती है।

क्या है इस परंपरा का कारण?
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार कुछ वेश्याएं गंगा स्नान के लिए जा रही थीं। तभी उन्होंने घाट पर एक कुष्ठ रोगी को बैठे देखा। वो आते-जाते लोगों से गुहार लगा रहा था कि कोई उसे गंगा स्नान करवा दे, लेकिन किसी ने उसकी ओर ध्यान नहीं दिया। ये देखकर वेश्याओं को उस पर दया आ गई और उन्होंने उस कुष्ठ रोगी को गंगा स्नान करवा दिया। वह कुष्ठ रोगी स्वयं भगवान शिव थे। अपने वास्तविक स्वरूप में आकर उन्होंने वेश्याओं से वरदान मांगने को कहा। तब वेश्याओं ने कहा कि ‘हमारे आंगन की मिट्टी के बिना दुर्गा प्रतिमाओं का निर्माण न हो सके।’ शिवजी उन्हें ये वरदान दे दिया। तभी से ये परंपरा चली आ रही है।

एक कारण ये भी है
देवी प्रतिमा बनाते समय इसमें वेश्याओं के आंगन की मिट्टी मिलाने के पीछे एक दूसरा कारण भी है जो मनोवैज्ञानिक है। उसके अनुसार, जब भी कोई व्यक्ति तवायफ के घर में प्रवेश करता है तो वह अपने सभी पुण्य कर्म बाहर छोड़कर जाता है। इस वजह से वेश्याओं के आंगन की मिट्टी को बहुत ही पवित्र माना गया है। यही कारण है कि देवी प्रतिमाएं बनाने के लिए वेश्याओं के आंगन की मिट्टी का उपयोग विशेष रूप से किया जाता है।


ये भी पढ़ें-

Indira Ekadashi 2023: कब है श्राद्ध पक्ष की इंदिरा एकादशी? जानें सही डेट, पूजा विधि, मंत्र, कथा और आरती


Karwa Chauth 2023 Moon Rising Time: करवा चौथ पर कब होगा चंद्रोदय? नोट करें सही टाइम


Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

PREV

Recommended Stories

खर मास 2025 में करें ये 5 उपाय, किस्मत चमकते देर नहीं लगेगी
Aaj Ka Panchang 14 दिसंबर 2025: चंद्रमा बदलेगा राशि, बनेंगे 6 शुभ योग, नोट करें अभिजीत मुहूर्त का समय