Shankaracharya Jayanti 2024: देश में कहां-कहां हैं 4 मठ, किसने की इनकी स्थापना?

Shankaracharya Jayanti 2024: आदि गुरु शंकराचार्य का हिंदू धर्म के उत्थान में विशेष योगदान है। उन्होंने ही देश में अनेक तीर्थ स्थानों व मंदिरों आदि की स्थापना की। ताकि लोग यहां आकर अपने धर्म का महत्व समझ सकें।

 

Hindu dharm ke Char Mathh kaha Hai: हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को आदि गुरु शंकराचार्य की जयंती मनाई जाती है। इस बार ये तिथि 12 मई, रविवार को है। आदि गुरु शंकराचार्य का हिंदू धर्म के उत्थान में विशेष योगदान हैं। इन्हें भगवान शिव का अवतार भी माना जाता है। हिंदू धर्म की व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए उन्होंने कई नियम बनाए, जिनका पालन आज भी किया जा रहा है। आदि गुरु शंकराचार्य ने ही देश के अलग-अलग हिस्सों में 4 मठों की स्थापना की, जहां से पूरा साधु समाज नियंत्रित होता है। इन मठों के प्रमुख व्यक्ति को शंकराचार्य ही कहा जाता है। आगे जानिए देश में कहां-कहां स्थित हैं ये चार मठ...

कहां है शारदा मठ?
आदि गुरु शंकराचार्य ने गुजरात के द्वारिका में जो मठ बनाया, उसका नाम रखा शारदा मठ। जो साधु यहां से दीक्षा प्राप्त करता हैस वह अपने नाम के बाद 'तीर्थ' और 'आश्रम' लिखता है, जिससे कि उनकी पहचान होती है। इस मठ का महावाक्य है 'तत्त्वमसि'। इस मठ का प्रमुख वेद 'सामवेद' है। शारदा मठ के प्रथम मठाधीश यानी शंकराचार्य हस्तामलक (पृथ्वीधर) थे।

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कहां है ज्योतिर्मठ?
उत्तराखंड के बद्रीनाथ में स्थित है ज्योतिर्मठ। ज्योतिर्मठ में दीक्षा लेने वाले साधु-संत अपने नाम के बाद 'गिरि', 'पर्वत' एवं ‘सागर विशेषण लगाते हैं, जिससे इनके मठ की पहचान होती है। इस मठ का महावाक्य है 'अयमात्मा ब्रह्म'। इस मठ का वेद है ‘अथर्ववेद’। ज्योतिर्मठ के प्रथम मठाधीश आचार्य तोटक बनाए गए थे।

कहां है श्रृंगेरी मठ?
भारत के दक्षिण में रामेश्वरम् में स्थित है श्रृंगेरी मठ। इस मठ से दीक्षा लेने वाले संन्यासी अपने नाम के बाद सरस्वती, भारती तथा पुरी लिखते हैं। इस मठ का महावाक्य है 'अहं ब्रह्मास्मि'। इस मठ का प्रमुख वेद है 'यजुर्वेद'। इस मठ के प्रथम मठाधीश आचार्य सुरेश्वरजी थे, जिनका पूर्व में नाम मण्डन मिश्र था।

कहां है गोवर्धन मठ?
उड़ीसा के पुरी में स्थित है गोवर्धन मठ। यहीं पर भगवान जगन्नाथ का प्रसिद्ध मंदिर भी है। यहां से दीक्षा प्राप्त करने वाले साधु-संत नाम के बाद 'आरण्य' लिखते हैं। इस मठ का महावाक्य है 'प्रज्ञानं ब्रह्म'। इस मठ का प्रमुख वेद है 'ऋग्वेद'। इस मठ के प्रथम मठाधीश आद्य शंकराचार्य के प्रथम शिष्य पद्मपाद थे।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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