
Mahilaye Kyo Na Bajaye Shankh: 6 नवंबर से हिंदू पंचांग के नौवां महीना अगहन शुरू हो चुका है। इस महीने में शंख की पूजा का विशेष महत्व माना गया है। कहते हैं कि अगहन मास में यदि साधारण शंख की भी पूजा की जाए तो इसका फल श्रीकृष्ण के पांचजन्य की पूजा के बराबर मिलता है। शंख बजाने के भी कुछ नियम है जैसे सनातन धर्म में महिलाओं के शंख बजाने पर रोक है। इसका कारण सिर्फ धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक भी है। आगे जानिए महिलाओं को शंख क्यों नहीं बजाना चाहिए…
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शंख बजाने समय सबसे ज्यादा जोर व्यक्ति की नाभि पर लगता है, पुरुषों के लिए तो ये कोई समस्या नहीं है लेकिन महिलाओं के नाभि स्थान पर गर्भाग्य होता है जहां शिशु का विकास होता है। महिलाओं के नाभि स्थान पर अगर ज्यादा जोर दिया जाए तो गर्भाग्य में खराबी आ सकती है, जिसका असर उनके मासिक चक्र पर हो सकता है। इसके अलावा गर्भाग्य पर जोर लगाने से महिलाओं के गर्भधारण में भी परेशानी हो सकती है, इसलिए हमारे विद्वानों ने महिलाओं को शंख बजाना निषेध किया गया है।
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शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती का एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है, जिसमें वे बोल रहे हैं ‘पहला कारण तो यही है कि धर्म ग्रंथों में महिलाओं को शंख बजाने की मनाही है। इसके पीछे वैज्ञानिक कारण कुछ भी हो लेकिन यदि शास्त्र आपको आज्ञा नहीं देते तो वो काम भूलकर भी नहीं करना चाहिए, इससे सनातन धर्म की परंपराओं का अनादर होता है। अच्छी बात ये है कि सनातन धर्म की महिलाएं इस नियम को मानती भी हैं और पालन भी करती हैं।’
1. धर्म ग्रंथों के अनुसार, जिस घर में शंख बजाया जाता है, वहां निगेटिव एनर्जी खत्म हो जाती है और पॉजिटिव एनर्जी बनी रहती है।
2. शंख बजाने से फेफड़ों के काम करने की क्षमता का विकास होता है, जिससे श्वसन संबंधी बीमारी नहीं होती।
3. शंख को देवी लक्ष्मी का भाई भी कहते हैं। शंख बजाने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होकर हर तरह का सुख प्रदान करती हैं।
4. शंख बजाने से एक तरह की तरंग निकलती है जो छोटे-छोटे बैक्टीरिया-वायरस को खत्म कर देती है।
5. जिस घर में प्रतिदिन शंख बजाया जाता है वहां रहने वाले लोग कम बीमार होते हैं।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।