
Matamah Shraddha 2025 Date: मातामाह श्राद्ध के बारे में बहुत से लोगों ने सुना होगा लेकिन इसका बारे में जानकारी बहुत कम लोगों को हैं। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मातामाह श्राद्ध सर्व पितृ अमावस्या के दूसरे दिन यानी शारदीय नवरात्रि के पहले दिन किया जाता है। इस श्राद्ध का महत्व अनेक धर्म ग्रंथों में बताया गया है। जानें क्यों करते हैं मातामाह श्राद्ध, इससे जुड़ी खास बातें साल 2025 में ये श्राद्ध कब करें…
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सर्व पितृ अमावस्या के दूसरे दिन यानी नवरात्रि स्थापना के साथ ही मातामह श्राद्ध करने की परंपरा है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि ये श्राद्ध माता पक्ष से संबंधित है। धर्म ग्रंथों में इस श्राद्ध के बारे में विस्तार से बताया गया है। उसके अनुसार, जिन लोगों का कोई पुत्र नहीं होता, उनकी पुत्री का पुत्र भी अपने नाना-नानी की आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर सकता है, इसे ही मातामाह श्राद्ध कहते हैं।
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मातामाह श्राद्ध की व्यवस्था हमारे पूर्वजों ने बनाई है। वह इसलिए कि यदि किसी व्यक्ति का पुत्र न हो तो उस स्थिति में उसकी आत्मा की शांति मिल सके। पुत्री अपने माता-पिता का श्राद्ध नहीं कर सकती, इसलिए उसके पुत्र द्वारा नाना-नानी के निमित्त तर्पण-पिंडदान करवाया जाता है। मातामह श्राद्ध करने से जीवन में सुख-शांति व सम्पन्नता बनी रहती है।
पंचांग के अनुसार, इस बार 21 सितंबर, रविवार को पितृ पक्ष का अंतिम दिन रहेगा यानी इस दिन सर्व पितृ अमावस्या के साथ ही पितृ पक्ष समाप्त हो जाएगा। इसके अगले दिन यानी 22 सितंबर, सोमवार को शारदीय नवरात्रि का पहला दिन रहेगा। यही तिथि मातामाह श्राद्ध के लिए उत्तम मानी गई है। यानी इस बार का मातामाह श्राद्ध 22 सितंबर, सोमवार को करना शास्त्र सम्मत है।
22 सितंबर को मातामाह श्राद्ध के लिए 2 शुभ मुहूर्त हैं। पहला मुहूर्त कुतप काल का है जो सुबह 11 बजकर 50 मिनिट से शुरू होकर दोपहर 12 बजकर 38 मिनिट तक रहेगा और दूसरा रौहिण मूहूर्त है जो दोपहर 12 बजकर 38 से 01 बजकर 27 मिनिट तक रहेगा।
Disclaimer
इस आर्टिकल में जो जानकारी है, वो धर्म ग्रंथों, विद्वानों और ज्योतिषियों से ली गईं हैं। हम सिर्फ इस जानकारी को आप तक पहुंचाने का एक माध्यम हैं। यूजर्स इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।