Meo Muslim Koun Hai: क्या पाण्डु पुत्र अर्जुन के वंशज हैं मेव मुसलमान? ये 5 बातें आपका दिमाग चकरा देंगी

Nuh Violence: हरियाणा (Haryana) के नूंह (Nuh) में पिछले दिनों हुई हिंसा में मेव मुसलमानों (Meo Muslim) का नाम सामने आ रहा है। ये मुसलमानों का एक अलग धड़ा है, जो कईं हिंदू परंपराओं का पालन करता है। 

 

Manish Meharele | Published : Aug 4, 2023 7:04 AM IST

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कौन हैं मेव मुसलमान?

हरियाणा (Haryana) के नूंह (Nuh) में पिछले दिनों हुई हिंसा (Nuh Violence) में कई लोग मारे गए। नूंह हरियाणा के मेवात क्षेत्र का एक हिस्सा है, यहां मेव मुसलमानों का वर्चस्व है। इस क्षेत्र में करीब 4 लाख मेव मुसलमान रहते हैं। मेवात के अलावा उत्तर प्रदेश और राजस्थान के कुछ हिस्सों में भी मेव मुसलमानों (Meo Muslim) का अच्छा-खासा वर्चस्व है। कहने को तो ये मुस्लिमों का एक अलग धड़ा है, लेकिन इनकी कई परंपराएं हिंदुओं से मिलती-जुलती हैं। आगे जानिए मेव मुसलमानों से जुड़ी खास बातें…

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स्वयं को बताते हैं पाण्डु पुत्र अर्जुन का वंशज

महाभारत के पाण्डु पुत्र अर्जुन के बारे में तो हम सभी जानते हैं। मेव मुसलमान खुद को अर्जुन का वंशज मानते हैं। सिर्फ इतना ही नहीं ये हिंदुओं के देवता भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण को भी मानते हैं। कालांतर में किसी वजह से इन्होंने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया। ये स्वयं को मेव राजपूत भी कहते हैं।

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हिंदू त्योहार भी मनाते हैं

मेव मुसलमान इस्लाम के नियमों को तो मानते ही हैं, साथ ही ये हिंदू त्योहारों जैसे दीवाली, दशहरा आदि को भी मनाते हैं। इतिहासकार बताते हैं कि मुगलों के दबाव में आकर मेवात के राजपूतों ने इस्लाम स्वीकार तो कर लिया लेकिन वे आज भी अपने मूल धर्म यानी सनातन को भूल नहीं पाए हैं।

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गाते हैं ये खास गीत

मेव मुसलमान हिंदू महाकाव्य महाभारत को एक खास तरह की शैली में गाते हैं, जिसे पंडुन का कड़ा कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि ये महाभारत का मेवाती संस्करण है, जिसमें संगीतमय तरीकों से सुनाया जाता है। पंडुन का कड़ा बहुत ही प्रसिद्ध विधा है जो सिर्फ मेव मुसलमानों में ही पाई जाती है।

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भपंग बजाकर सुनाते हैं ये कथा

मेव मुसलमान जब पंडुन का कड़ा सुनाते हैं तो इसमें भपंग नाम के एक खास वाद्य यंत्र का उपयोग किया जाता है। मेव मुसलमान इसी गायन विधा के माध्यम से खुद को अर्जुन का वंशज और स्वयं के राजपूत होने के प्रमाण भी देते हैं। हालांकि धीरे-धीरे ये विधा खत्म होती जा रही है।

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एक गोत्र में शादी नहीं

हिंदुओं की तरह मेव मुसलमानों में भी गोत्र परंपरा है। इनके नाम में अक्सर सिंह सरनेम का उपयोग होता है। आमतौर पर मुस्लिमों में अपने ही परिवार में शादी की जाती है जैसे बहन या भाई के बेटे-बेटियों से, लेकन मेव मुसलमान इस परंपरा को नहीं मानते। यहां तक कि वे एक ही गोत्र में शादियां भी नहीं करते।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

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