आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की ।
उग्र रूप है तुम्हारा देवा भक्त, सभी करते है सेवा ।।
मनोकामना पूरण करते, तन-मन से जो सेवा करते ।
आरती कीजे श्री नाग देवता की , भूमि का भार वहनकर्ता की ।।
भक्तों के संकट हारी की आरती कीजे श्री नागदेवता की ।
आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की ।।
महादेव के गले की शोभा ग्राम देवता मै है पूजा ।
श्वेत वर्ण है तुम्हारी ध्वजा।।
दास ऊंकार पर रहती कृपा सहस्त्रफनधारी की ।
आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की ।।
आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की ।।