हमारे धर्म ग्रंथों में लाइफ मैनेजमेंट के अनेक सूत्र बताए गए हैं। इन सूत्रों को ध्यान में रखा जाए तो कई परेशानियों से बचा जा सकता है। ऐसे ही कुछ सूत्र राजा भर्तृहरि के नीति शतक में भी है। राजा भर्तृहरि उज्जियनी के राजा थे।
उज्जैन. उज्जयिनी यानी उज्जैन सप्तपुरियों में से एक है यानी 7 सबसे पवित्र और पौराणिक शहर। उज्जयिनी का वर्णन कई धर्म ग्रंथों में मिलता है। श्रीकृष्ण ने यहां शिक्षा प्राप्त की और उनकी एक पत्नी भी यहीं से थी। उज्जयिनी के राजा विक्रमादित्य के बारे में कौन नहीं जानता। उन्हीं के नाम पर विक्रम संवत का आरंभ हुआ। उनके एक बड़े भाई थे, जिनका नाम भर्तृहरि था। भर्तृहरि ने नीति शतकम्, वैराग्य शतकम्, श्रृंगारशतक आदि ग्रंथों की रचना की थी। नीति शतकम् में जीवन को सुखी और सफल बनाने के सूत्र बताए गए हैं। नीति शतक में मनुष्यों की कुछ बुरी आदतों के बारे में बताया गया है, जो भविष्य में परेशानी का कारण बन सकती हैं। आज हम आपको उन्हीं बुरी आदतों के बारे में बता रहे हैं…
1. अकारण शत्रु बनाना
कुछ लोग छोटी- छोटी बातों पर दूसरों से लड़ने-झगड़ने लगते हैं। उनकी यही आदत उनके दुश्मनों की संख्या बढ़ा देती है। एक दिन ऐसा भी आता है जब उनके दोस्तों से ज्यादा उनके दुश्मन हो जाते हैं। ऐसी स्थिति ठीक नहीं होती। ऐसे लोग सभ्य समाज में रहते हुए भी अलग होते हैं। इनकी यही आदत इन्हें परेशानी में डाल सकती है।
2. पराए धन को पाने की कोशिश करना
लालच बुरी बला है, ये बात तो सभी जानते हैं, लेकिन फिर भी मानते नहीं है। कई बार ये आदत बड़ी मुसीबत में फंसा सकती है। इस वजह से मान-सम्मान के साथ-साथ कई बार जान जाने की स्थिति भी बन जाती है। इसलिए इस आदत को जितनी जल्दी हो सके छोड़ देना ही बेहतर है।
3. दया न करना
कुछ लोग स्वभाव से बहुत ही कठोर होते हैं, उनमें दया का भाव लेशमात्र भी नहीं होता। ऐसे लोग अपने इसी अवगुण के कारण कई बार दूसरे लोगों की घृणा का पात्र बन जाते हैं। जो व्यक्ति दया नहीं करता वो अपनी इस आदत के कारण कभी-न-कभी परेशानी में अवश्य फंसता है।
4. हमेशा गुस्से में रहना
गुस्सा सभी को आता है, लेकिन बिना वजह हर वक्त गुस्से में रहना ठीक नहीं होता। ऐसे से स्वभाव वाले लोगों से कोई भी बात करना पसंद नहीं करता और न ही कोई इनकी मदद करता है। कई बार मुसीबत आने पर भी लोग इनकी मदद करने से हिचकते हैं। इन लोगों की ये आदत परेशानी का कारण बन जाती है।
5. मित्रों और परिवार की मदद न करना
बुरे समय अपने लोगों की मदद मानवता है, लेकिन कुछ लोग पैसा आते ही अपने परिजनों से दूरी बना लेते हैं और सक्षम होते हुए भी मदद नहीं करते। ऐसा करके वे दूसरों के मन में अपने प्रति कटुता का भाव भर देते हैं। ये स्थिति ठीक नहीं होती। क्योंकि समय कभी एक जैसा नहीं होता। ऐसा व्यवहार कभी न कभी आपके लिए मुसीबत का कारण बन सकता है।
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