Kinnar Akhada: कैसे बना किन्नर अखाड़ा, कहां लगाया पहला कैंप? जानें इतिहास

Published : Jan 07, 2025, 03:57 PM IST
kinnar akhada 2025

सार

Prayagraj Maha Kumbh 2025: प्रयागराज महाकुंभ में सभी प्रमुख 13 अखाड़ों के साथ किन्नर अखाड़ा भी पहुंच चुका है। ये अखाड़ा सभी लोगों के आकर्षण का केंद्र बन चुका है। किन्नर अखाड़े का इतिहास ज्यादा पुराना नहीं है। इसके प्रमुख डॉ. लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी हैं। 

History of Kinnar Akhara: प्रयागराज में महाकुंभ 13 जनवरी से शुरू होने वाला है, जो 26 फरवरी तक रहेगा। एक महीने से अधिक समय तक चलने वाले इस धार्मिक मेले में लगभग 40 करोड़ लोगों के आने का अनुमान है। महाकुंभ में सभी 13 अखाड़े अपने लाखों-संतों के साथ पवित्र संगम स्थान पर डुबकी लगाएंगे। इन 13 अखाड़ों के बीच किन्नर अखाड़ा सभी के आकर्षण का विषय बन चुका है। किन्नरों का वैभव देखकर हर कोई हैरान है। किन्नर अखाड़ा कैसे बना, इसका इतिहास क्या है? इसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं? जानें किन्नर अखाड़े से जुड़ी खास बातें…

किसने बनाया किन्नर अखाड़ा?

किन्नर एक्टिविस्ट डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी काफी सालों से किन्नरों के हित के लिए काम कर रही थीं। तब उनके मन में किन्नर अखाड़ा बनाने का विचार आया। उन्होंने अपने समुदाय के लोगों को एकत्रित किया और साल 2015 में किन्नर अखाड़े की स्थापना की। जब ये बात अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद को पता चली तो उन्होंने इसका विरोध किया। घोर विरोध के बाद भी डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी अडिग रही। 2016 में उज्जैन के कुंभ में किन्नर अखाड़े ने अपना अलग कैंप लगाया।

किन्नरों को स्वयं को बताया उपदेव

उज्जैन के कुंभ में किन्नर अखाड़े को जगह तो मिल गई लेकिन अखाड़ा परिषद ने इनके शाही स्नान करने पर आपत्ति ली। इसके बाद किन्नर अखाड़े के संतों ने खुद को उपदेव बताते हुए शाही स्नान किया था। उज्जैन में किन्नर अखाड़ा सभी के लिए आकर्षण का केंद्र बना और लोगों का भी इन्हें बहुत साथ मिला।

किस अखाड़े के अधीन है किन्नर अखाड़ा?

किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर डॉ. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के अनुसार, 2019 में इनकी मुलाकात जूना अखाड़े के संरक्षक हरि गिरि महाराज से हुई। तब जूना अखाड़े के साथ इनका अनुबंध हुआ। इस अनुबंध में ये तय किया गया कि अब कुंभ मेले में किन्नर अखाड़ा जूना अखाड़े के साथ शाही स्नान करेगा। जूना अखाड़े की स्वीकृति के बाद अन्य अखाड़ों ने भी किन्नर अखाड़े के प्रति अपना विचार बदल लिया।


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