PM नरेंद्र मोदी ने किए सांवलिया सेठ के दर्शन, यहां भगवान को क्यों अपना बिजनेस पार्टनर बनाते हैं लोग?

Published : Oct 02, 2023, 10:23 AM ISTUpdated : Oct 02, 2023, 11:55 AM IST
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सार

PM Modi Sanwaliya Ji Darshan: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2 अक्टूबर को राजस्थान के दौरे पर हें। इस दौरान वे कईं कार्यक्रमों में शामिल होंगे, इसी बीच मोदी ने सांवलिया सेठ के प्रसिद्ध मंदिर में दर्शन भी किए।  

उज्जैन. राजस्थान (rajasthan election 2023) में जल्दी ही चुनाव की तारीख घोषित होने वाली है। इसे लेकर भारतीय जनता पार्टी ने अभी भी तैयारियां शुरू कर दी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi Rajasthan visit) 2 अक्टूबर को राजस्थान के दौरे पर हैं। इस दौरान मोदी ने सांवलिया सेठ के प्रसिद्ध मंदिर में दर्शन भी किए। इसके बाद मोदी अन्य कार्यक्रमों में शामिल होंगे और सभा को संबोधित भी करेंगे। इस मौके पर जानिए राजस्थान के प्रसिद्ध सांवलिया सेठ मंदिर से जुड़ी खास बातें…

जमीन से निकली है ये मूर्तियां
सांवलिया सेठ मंदिर में स्थित भगवान श्रीकृष्ण की प्रतिमा को लेकर कईं किवदंतियां प्रचलित हैं। कहते हैं का साल 1840 में भोलाराम गुर्जर नाम के एक ग्वाला को सपना आया कि बागुंड गाँव में भगवान श्रीकृष्ण की 3 मूर्तियां जमीन के नीचे दबी हुई हैं। तय स्थान पर जमीन की खुदाई करने पर वहां से भगवान श्रीकृष्ण की 3 मूर्तियां निकली। इनमें से एक भादसोड़ नामक स्थान पर, दूसरी को बागुंड गांव में तीसरी की स्थापना मंडफिया में की गई। मंडफिया में स्थापित प्रतिमा को ही सांवलिया सेठ कहा जाता है। ये तीनों मंदिर 5 किमी की दूरी पर स्थित हैं।

भगवान को बनाते हैं अपना पार्टनर
वैसे तो हमारे देश में भगवान श्रीकृष्ण के अनेक मंदिर हैं, लेकिन इन सभी में राजस्थान के मंडफिया में स्थित सांवलिया सेठ का मंदिर बहुत खास है। यहां कईं बिजनेसमैन भगवान श्रीकृष्ण को अपना पार्टनर बनाते हैं और व्यापार में हुए प्रॉफिट का एक निश्चित हिस्सा मंदिर में दान करते हैं। ये परंपरा देश के एकमात्र इसी मंदिर में निभाई जाती है। इसी परंपरा के चलते इस मंदिर की दान पेटी में करोड़ों रुपए का दान आता है। कई एनआरआई भक्त तो सांवलिया सेठ की दान पेटी में डॉलर, पाउंड, दिनार, रियॉल आदि भी चढ़ाते हैं।

सांवरिया सेठ मंदिर कैसे पहुंचें? (How to reach Saawariya Seth Temple?)
हवाई मार्ग- यहां से निकटतम हवाई अड्डा महाराणा प्रताप हवाई अड्डा है जो मंदिर से 58 किमी पर स्थित है। यहां से आप टैक्सी या बस के माध्यम से मंदिर तक आसानी से पहुंच सकते हैं।
ट्रेन द्वारा- यहां से निकटतम रेलवे स्टेशन चित्तौड़गढ़ है जो लगभग 33 किमी दूर है। यहां से मंदिर पहुंचने के लिए ऑटो टैक्सी या बस आसानी से मिल जाती है।
सड़क मार्ग- आप राजस्थान के किसी भी शहर से राज्य परिवहन की बसों, निजी बसों और टैक्सियों के माध्यम से मंदिर परिसर तक आसानी से पहुंच सकते हैं।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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