Sawan Third Somvar 2023: ये 4 शुभ योग बनाएंगे सावन के तीसरे सोमवार को खास, जानें दिन भर के मुहूर्त और पूजा विधि

Sawan Third Somvar 2023: सावन मास का तीसरा सोमवार 24 जुलाई को रहेगा। ये सोमवार बहुत ही खास रहेगा क्योंकि ये अधिक मास के अंतर्गत आएगा। 19 साल बाद सावन अधिमास के अंतर्गत सोमवार का संयोग बन रहा है।

 

Manish Meharele | Published : Jul 23, 2023 4:30 AM IST

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जानें सावन के तीसरे सोमवार से जुड़ी हर खास बात...

24 जुलाई को सावन का तीसरा सोमवार (Sawan Tisra Somvar 2023) को है। खास बात ये है कि ये सोमवार सावन अधिमास के अंतर्गत आएगा। साल 2004 के बाद 24 जुलाई को सावन अधिमास सोमवार का संयोग बन रहा है। इस दिन कई शुभ योग बनेंगे, जिसके चलते इस दिन की गई शिव पूजा का बहुत ही जल्दी शुभ फल प्राप्त होगा। आगे जानिए सावन के दूसरे सोमवार से जुड़ी खास बातें…

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ये शुभ योग बनेंगे सावन के तीसरे सोमवार को (Sawan 3rd Somvar 2023)

24 जुलाई को सावन अधिमास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि रहेगी। इस तिथि के स्वामी भगवान कार्तिकेय हैं, जो स्वयं महादेव के पुत्र हैं। इस दिन शिव नाम का शुभ योग दोपहर 02:51 तक रहेगा। इसके बाद सिद्धि नाम का शुभ योग बनेगा। सुबह कुछ देर के लिए अमृतसिद्धि और सर्वार्थसिद्धि शुभ योग भी इस दिन रहेंगे।

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ये हैं पूजा के शुभ मुहूर्त (Sawan Third Somvar 2023 Shubh Muhurat)

सावन के तीसरे सोमवार को दिन भर पूजा के कई मुहूर्त हैं। इन मुहूर्तों में की गई शिव पूजा से उत्तम फल प्राप्त होंगे…
- सुबह 05:57 से 07:36 तक
- दोपहर 12:07 से 12:59 तक
- सुबह 09:15 से 10:54 तक
- शाम 05:29 से 07:08 तक

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सावन सोमवार पर शिव पूजा की विधि (Shiv Puja Vidhi on Sawan Somwar)

- 24 जुलाई की सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। 
- ऊपर बताए गए किसी एक शुभ मुहूर्त से पहले पूजा की पूरी तैयारी कर लें।
- पहले शिवलिंग पर साफ जल चढ़ाएं, फिर दूध से एक बार पुन: जल से अभिषेक करें। 
- गंध, रोली, मौली, शहद, बिल्वपत्र, भांग, धतूरा आदि चीजें एक-एक करके चढ़ाएं।
- अपनी इच्छा अनुसार भोग लगाएं। पूजा में ऊं नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें।
- आरती कर प्रसाद भक्तों में बांट दें। इससे आपकी हर कामना पूरी हो सकती है।

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शिवजी की आरती (Shivji Ki Aarti)

ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥


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