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Vrat Mai Sabudana Kyo Khate Hai: व्रत-उपवास के दौरान साबूदाना विशेष रूप से क्यों खाया जाता है?

हिंदू धर्म में व्रत-उपवासों का विशेष महत्व है। व्रत के दौरान भोजन करने की मनाही होती है। व्रत में सिर्फ कुछ खास चीजें ही खाई जा सकती है, इन्हीं में से एक है साबूदाना। इससे बनी खिचड़ी, खीर व अन्य व्यंजन काफी स्वादिष्ट होते हैं। 

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Manish Meharele
Published : Jul 22 2023, 04:59 PM IST
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जानें साबूदाने से जुड़ी हर खास बात
Image Credit : Getty

जानें साबूदाने से जुड़ी हर खास बात

इस दिन सावन मास चल रहा है। अधिकांश लोग इस दौरान भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए व्रत-उपवास करते हैं। व्रत के दौरान वैसे तो कुछ भी खाने की मनाही होती है, लेकिन स्वास्थ्य कारणों के चलते उपवास में कुछ खास चीजें खाई जा सकती हैं जैसे फल, दूध, सिंघाड़ा और साबूदाना आदि। (Vrat Mai Sabudana Kyo Khate Hai) इन सभी में व्रत के दौरान साबूदाना सबसे अधिक खाया जाता है। बहुत से लोगों को ये भी पता नहीं होगा कि साबूदाना आखिर है क्या? आज हम आपको साबूदाने से जुड़ी कुछ खास बातें बता रहे हैं, जो इस प्रकार है…

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क्या होता है साबूदाना? (Kya Hota Hai Sabudana)
Image Credit : Getty

क्या होता है साबूदाना? (Kya Hota Hai Sabudana)

हम बचपन से ही व्रत-उपवास के दौरान साबूदाने की खिचड़ी और खीर आदि खाते आ रहे हैं, मगर बहुत ही कम लोगों को पता है कि साबूदाना आखिर होता क्या है। दरअसल साबूदाना कसावा नाम के पौधे से उत्पन्न एक स्टार्च है। दुनिया भर में कसावा को अलग-अलग नामों से जाना जाता है जैसे सागो, टैपिओका आदि। इसका वानस्पति नाम है "Manihot Esculenta Crantz"।

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कैसे बनता है साबूदाना? (Kaise Banta Hai Sabudana)
Image Credit : Getty

कैसे बनता है साबूदाना? (Kaise Banta Hai Sabudana)

कसावा के पेड़ की जड़े, जिसे "टैपिओका रूट" भी कहते हैं, से सफेद रंग का गूदा निकलता है। इस गूदे को इकट्ठा कर महीनों तक बड़े-बड़े गड्ढों में सड़ाया जाता है। इसके बाद इसमें कुछ केमिकल मिलाकर मावे की तरह दिखने वाला आटा तैयार किया जाता है। इसे मशीनों की सहायता से छोटे-छोटे दानों में अर्थात साबूदाने के रूप में तैयार किया जाता है और फिर इस पर पॉलिश की जाती है, जिससे कि ये सफेद दिखाई देता है।

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साबूदाना फलाहारी कैसे? (Sabudana Flahari Kyo Hai)
Image Credit : Getty

साबूदाना फलाहारी कैसे? (Sabudana Flahari Kyo Hai)

साबूदाने का उपयोग हम कई सदियों से फलाहार के रूप में करते आ रहे हैं। वैसे फलाहार का मूल अर्थ फल से है जो प्राकृतिक होते हैं। फलों की तरह साबूदाना भी पूरी तरह से प्राकृतिक होता है क्योंकि ये पेड़ की जड़ों से निकले गूदे से तैयार किया जाता है। पूर्णत: प्राकृतिक होने के कारण ही साबूदाने का सेवन फलाहारी खिचड़ी और खीर आदि के रूप में व्रत-उपवास में किया जाता है।

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साबूदाने में होते हैं ये गुण
Image Credit : Getty

साबूदाने में होते हैं ये गुण

व्रत-उपवास के दौरान साबूदाना खाए जाने के पीछे एक और वजह भी है, वो हे इसमें छिपे प्राकृतिक गुण। साबूदाना में कार्बोहाइड्रेट काफी अधिक होता है, जो शरीर को जरूरी एनर्जी प्रदान करता है। व्रत के दौरान जब अन्य जरूर पोषक तत्व शरीर को नहीं मिलते और उस समय साबूदाने से प्राप्त कार्बोहाइड्रेट उनकी कमी पूरी करता है। साथ ही इसमें कुछ मात्रा में कैल्शियम व विटामिन सी भी होता है।


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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

About the Author

MM
Manish Meharele
मनीष मेहरेले। मीडिया जगत में इनके पास 19 साल से ज्यादा का अनुभव है। वर्तमान समय में ये एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ जुड़कर धर्म-आध्यात्म बीट पर काम कर रहे हैं। करियर की शुरुआत इन्होंने स्थानीय अखबार दैनिक अवंतिका से की थी। इसके बाद वह दैनिक भास्कर प्रिंट उज्जैन में वाणिज्य डेस्क प्रभारी रहे और 2010-2019 तक दैनिक भास्कर डिजिटल में धर्म डेस्क पर काम किया। इन्हें महाभारत, रामायण जैसे धार्मिक ग्रंथों का अच्छा ज्ञान है। इनके पास जीव विज्ञान में बीएससी स्नातक की डिग्री है।

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