Basant Panchami 2023: कैसे एक एवरेज स्टूडेंट बन सकता है ब्रिलियंट? ध्यान रखें देवी सरस्वती से जुड़ी ये 5 बातें

Vasant Panchami 2023: देवी सरस्वती को ज्ञान की देवी कहा जाता है। इसलिए हर शिक्षण संस्था चाहे वो स्कूल हो या कॉलेज देवी सरस्वती की पूजा जरूर की जाती है। इस बार देवी सरस्वती की पूजा का पर्व वसंत पंचमी 26 जनवरी, गुरुवार को है।

 

उज्जैन. हिंदू धर्म में देवी सरस्वती को ज्ञान और संगीत की देवी माना गया है। हर साल वसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की पूजा विशेष रूप से की जाती है। इस बार ये पर्व 26 जनवरी, गुरुवार को है। (Vasant Panchami 2023) मान्यता है कि जिस विद्यार्थी पर देवी सरस्वती की कृपा हो जाए वह साधारण होकर भी ब्रिलिएंट बन सकता है। (Life Management Tips of Goddess Saraswati) हम देखते हैं कि लगभग सभी स्कूल, कॉलेजों और अन्य शिक्षण संस्थानों में देवी सरस्वती का चित्र विशेष तौर पर लगाया जाता है। ये चित्र इसलिए लगाया जाता है कि विद्यार्थी उन चित्रों में छिपे मैनेजमेंट टिप्स समझ सकें और अपने जीवन में उतार सकें। आगे जानिए उन लाइफ मैनेजमेंट टिप्स के बारे में…


देवी सरस्वती के हाथ में पुस्तक क्यों?
देवी सरस्वती के हर चित्र में उनके हाथ में पुस्तक जरूर होती है। पुस्तक ज्ञान का प्रतीक है। इसका सीधा अर्थ है कि विद्यार्थियों को पुस्तकों से कभी अलग नहीं होना चाहिए। पुस्तकें ही मनुष्य की सच्ची मित्र होती हैं। जीवन की अनेक परेशानियां का हल इन्हीं पुस्तकों में कहीं न कहीं छिपा है, जरूरत है तो बस उसे समझने की।

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सफेद वस्त्र ही क्यों धारण करती हैं देवी सरस्वती?
चित्रों में देवी सरस्वती को हमेशा सफेद वस्त्रों में दिखाया जाता है। सफेद वस्त्र प्रतीक हैं निर्मल मन के। यानी जब भी हम ज्ञान प्राप्ति के लिए जाएं तो हमारा मन एकदम निर्मल और बेदाग होना चाहिए। इसमें किसी तरह का कोई छल-कपट नहीं होना चाहिए। तभी हम उस शिक्षा के सच्चे अधिकारी हो सकते हैं।


देवी सरस्वती के हाथों में वीणा क्यों?
देवी सरस्वती के चित्रों में उनके हाथों में वीणा भी अनिवार्य रूप से होती है। ये इस बात का संकेत है कि विद्यार्थियों की रुचि पढ़ाई के साथ-साथ ललित कलाओं के प्रति भी होनी चाहिए। संगीत न सिर्फ हमारे तनाव कम करता है बल्कि हमें प्रसन्नता भी देता है। इसी तरह अन्य कलाओं में भी हमारी सहभागिता होनी चाहिए।


देवी सरस्वती का स्थान एकांत में क्यों?
देवी सरस्वती के चित्र में उन्हें अक्सर किसी नदी के किनारे एकांत में बैठा हुआ दिखाया जाता है। ये इस बात का संकेत है कि पढ़ाई के लिए एकांत भी आवश्यक है। विद्यार्थियों को एकांत में बैठकर ही अध्ययन करना चाहिए, ताकि उनका ध्यान दूसरी ओर न भटके। देवी सरस्वती के पीछे सूरज भी उगता दिखाई देता है, यह बताता है कि पढ़ाई के लिए सुबह का समय ही श्रेष्ठ है।


देवी सरस्वती का वाहन हंस ही क्यों?
देवी सरस्वती का वाहन हंस को माना गया है। हंस में एक बहुत बड़ी विशेषता ये होती है कि वह दूध और पानी को अलग-अलग कर सकता है यानी अगर हंस को दूध में पानी मिलाकर दिया जाए तो वह दूध तो पी लेता है लेकिन पानी छोड़ देता है। इसी तरह हमें भी बुरी सोच को छोड़कर अच्छाई को ग्रहण करना चाहिए।

 

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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें। आर्टिकल पर भरोसा करके अगर आप कुछ उपाय या अन्य कोई कार्य करना चाहते हैं तो इसके लिए आप स्वतः जिम्मेदार होंगे। हम इसके लिए उत्तरदायी नहीं होंगे।

 

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