
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब एक ही राशि में दो ग्रह होते हैं तो कई शुभ-अशुभ योग बनते हैं। कई बार ये अशुभ योग थोड़े से समय के लिए बनते हैं, वहीं कुछ अशुभ योग लंबे समय तक बने रहते हैं। ऐसा ही एक अशुभ योग है गुरु चांडाल (Chandal Yog 2023)। कुछ ही दिनों बाद ये अशुभ योग शुरू होने वाला है। नाम से ही पता चलता है कि ये अशुभ योग किस तरह हमारे जीवन पर असर डाल सकता है। आगे जानिए ये योग कब बनता है, इस बार ये कब से कब तक रहेगा व इससे जुड़ी खास बातें…
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जब गुरु ग्रह और राहु एक ही राशि में आ जाते हैं तो चांडाल योग का निर्माण होता है। ये दोनों ग्रह एक-दूसरे के शत्रु हैं। राहु क्रूर ग्रह है जबकि गुरु शुभ ग्रह है। जब ये दोनों एक ही राशि में आ जाते हैं तो राहु गुरु को पीड़ित करने लगता है। इसका अशुभ प्रभाव देश-दुनिया के साथ-साथ कुछ विशेष राशियों पर ही होता है। इससे उनके जीवन में परेशानियां अचानक बढ़ जाती हैं।
22 अप्रैल, शनिवार को गुरु ग्रह मीन से निकलकर मेष राशि में प्रवेश करेगा। मेष राशि में पहले से ही राहु स्थित है। जैसे ही गुरु और राहु की युति बनेगी, वैसे ही चांडाल योग शुरू हो जाएगा। पहले दिन से ही इस अशुभ योग का असर कुछ खास राशि के लोगों पर दिखाई देने लगेगा।
जब तक गुरु और राहु की युति मेष राशि में बनी रहेगी, तब तक चांडाल योग बना रहेगा। ज्योतिषियों के अनुसार, 30 अक्टूबर 2023 को जब राहु मेष से निकलकर मीन राशि में आएगा, तब ये अशुभ योग समाप्त होगा। यानी चांडाल योग का प्रभाव 6 महीने से भी अधिक समय तक बना रहेगा।
चांडाल योग का अशुभ असर वैसे तो सभी राशि के लोगों पर किसी न किसी रूप में दिखाई देगा, लेकिन सबसे ज्यादा अशुभ प्रभाव मेष, मिथुन और धनु राशि के लोगों पर होगा। इन राशि वालों पर अचानक कर्ज बढ़ सकता है। सेहत से जुड़ी परेशानियां बनी रहेंगी। किसी गंभीर बीमारी का सामना भी करना पड़ सकता है। धन हानि के योग भी लगातार बनते रहेंगे। मान-सम्मान में कमी आ सकती है।
चांडाल योग के अशुभ फल से बचने के लिए कुछ विशेष उपाय किए जा सकते हैं। ये उपाय इस प्रकार हैं…
1. राहु और गुरु ग्रह के मंत्रों का जाप करें। यदि स्वयं ये काम नहीं कर सकते तो किसी योग्य पंडित से भी करवा सकते हैं।
2. प्रति गुरुवार उपवास करें। संभव हो तो पीले फल ही खाएं जैसे आम या पपीता आदि। शाम को देवगुरु बृहस्पति की पूजा के बाद व्रत पूर्ण करें।
3. किसी योग्य ज्योतिषि से पूछकर राहु और गुरु से संबंधित रत्न धारण करें। इससे भी काफी फायदा होगा।
4. राहु से संबंधित चीजें जैसे काला या नीला कपड़ा, उड़द दाल, तेल से भरा तांबे का बर्तन, कंबल और सात तरह के अनाज का दान करें।
5. गुरु से संबंधित चीजें जैसे पीला कपड़ा, केसर, हल्दी आदि चीजों का दान करें।
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