नंदी की मूर्तियां पी रही जल ! शिव मंदिरों में भक्तों की भीड़ ने किया दावा

धार के अलावा खंडवा और दूसरे शहरों से भी इस तरह चर्चाएं आग की तरह फैल रही हैं। शिव  भक्तों का दावा है कि भगवान की मूर्ति के सामने जल रखते ही वे धीरे-धीरे करके पूरा जल ग्रहण कर लेते हैं। 

धर्म डेस्क। मध्यप्रदेश के धार से चौंकाने वाली खबर सामने आई है। कुछ श्रद्धालुओं ने दावा किया है कि शहर में स्थित कई शिवालयों में  भगवान भोलेनाथ और नंदी पानी पी रहे हैं। नंदी को पानी पिलाने के लिए मंदिरों के बाहर भारी भीड़ जुट गई है।

धार के अलावा खंडवा और दूसरे शहरों से भी इस तरह चर्चाएं आग की तरह फैल रही हैं। शिव  भक्तों का दावा है कि भगवान की मूर्ति के सामने पानी रखते ही वे धीरे-धीरे करके पूरा पानी पी रहे हैं। 

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खंडवा  प्राचीनकाल से ही  भगवान भोलेनाथ के धाम के रुप में विख्यात है, यहां के बारे में तरह-तरह की  कथाएं प्रचलित  है।  हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे मंदिर के बारे में जहां मान्यता है कि हर दिन तीनों लोगों का भ्रमण करने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती यहीं आकर विश्राम करते हैं और चौसर भी खेलते हैं। यह मंदिर है खंडवा का ओंकारेश्वर मंदिर। 12 ज्योतिर्लिंगों में चौथा ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर मंदिर (Omkareshwar temple) है। ओंकारेश्वर मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के इंदौर शहर के पास स्थित है। नर्मदा नदी के मध्य ओमकार पर्वत पर स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर हिंदुओं की आस्था का केंद्र है। महाशिवरात्रि पर यहां शिवभक्तों की भक्ति देखते ही बनती है।
 

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ओंकारेश्वर मंदिर मध्यप्रदेश के निमाड़ में है। यह खंडवा जिले के नर्मदा नदी के बीचो-बीच ओंकार पर्वत पर है। यहां ॐ शब्द की उत्पत्ति ब्रह्मा जी के श्रीमुख से हुई थी। इसलिए हर धार्मिक शास्त्र या वेदों का पाठ ॐ शब्द के साथ किया जाता है। ओंकारेश्वर की महिमा का उल्लेख पुराणों में स्कंद पुराण, शिवपुराण और वायुपुराण में भी है।

यह मंदिर नर्मदा किनारे ॐ आकार के पर्वत पर बसा है। यहां शिवलिंग की आकृति ॐ के आकार की है। इसी कारण इस ज्योतिर्लिंग को ओंकारेश्वर के नाम से जाना जाता है। मान्यता है कि यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग है, जहां भगवान भोलेनाथ तीन लोकों का भ्रमण कर रात में यहां विश्राम करने आते हैं। माता पार्वती भी यहां विराजित हैं। रात को शयन से पहले भगवान शिव और माता पार्वती यहां चौसर खेलते हैं।



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यही कारण है कि यहां शयन आरती भी की जाती है। शयन आरती के बाद ज्योतिर्लिंग के सामने रोज चौसर-पांसे की बिसात सजाई जाती है। रात में गर्भ गृह में कोई भी नहीं जाता लेकिन सुबह पासे उल्टे मिलते हैं। ओंकारेश्वर मंदिर में भगवान शिव की गुप्त आरती की जाती है जहां पुजारियों के अलावा कोई भी गर्भ गृह में नहीं जा सकता। पुजारी भगवान शिव का विशेष पूजन एवं अभिषेक करते हैं।

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शिव की इस नगरी के पास नंदी के जल ग्रहण करने की  इस ताजा घटना से भक्तों के मन में शिवजी के प्रति आस्था बढ़ी है, इसके साथ ही कलयुग में उनकी महिमा की चर्चाएं व्याप्त हैं। 

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