Bahula Chaturthi 2022: किस दिन किया जाएगा बहुला चतुर्थी व्रत? जानिए तारीख और पूजा विधि

धर्म ग्रंथों के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को बहुला चतुर्थी (Bahula Chaturthi 2022) का व्रत किया जाता है। इस बार ये तिथि 15 अगस्त, सोमवार को है। ये चतुर्थी साल में आने वाली 4 प्रमुख चतुर्थी में से एक है।

उज्जैन. भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को बहुला चतुर्थी कहते हैं। इस बार ये तिथि 15 अगस्त, सोमवार को है। इस दिन मुख्य रूप से भगवान श्रीगणेश की पूजा की जाती है। इस बार ये तिथि सोमवार को होने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है क्योंकि सोमवार भगवान शिव का वार है और चतुर्थी भगवान श्रीगणेश की तिथि। मान्यता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस दिन महिलाएं शाम को चंद्रमा देखने के बाद ही अपना व्रत पूर्ण करती हैं। आगे जानिए इस दिन बनने वाले शुभ योग, पूजा विधि व अन्य खास बातें…

बहुला चतुर्थी पर बनेंगे ये शुभ योग (Bahula Chaturthi 2022 Shubh Yog)
पंचांग के अनुसार, 15 अगस्त, सोमवार को दिन भर उत्तरा भाद्रपद नाम का नक्षत्र रहेगा। सोमवार को उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र होने से गद नाम का शुभ योग इस दिन बन रहा है। इसके अलावा इस दिन धृति नाम का एक अन्य शुभ योग भी रहेगा। इस समय बुध ग्रह सिंह राशि में रहेगा। इस राशि में ये ग्रह शुभ फल प्रदान करता है। इस ग्रह का संबंध भगवान श्रीगणेश से माना जाता है। बहुला चतुर्थी पर बुध ग्रह का सिंह राशि में होना शुभ रहेगा।

इस विधि से करें बहुला चतुर्थी व्रत (Bahula Chaturthi 2022 Puja Vidhi)
 - 15 अगस्त की सुबह महिलाएं स्नान आदि करने के बाद व्रत-पूजा का संकल्प लें। इसके बाद घर में किसी साफ स्थान पर चौकी लगाएं पर उसके ऊपर लाल-सफेद बिछाकर भगवान श्रीगणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें।
- इसके बाद धूप, दीप, गंध (अबीर, गुलाल, कुंकुम आदि), फूल, प्रसाद आदि सोलह चीजों से भगवान श्रीगणेश की पूजा करें। दिन भर बिना कुछ खाए-पिए रहें। संभव न हो तो फलाहार कर सकते हैं। 
- इस दिन जितना कम हो सके, उतना कम बोलें। शाम होने पर फिर से स्नान कर इसी पूजा विधि से भगवान श्रीगणेश की उपासना करें। इसके बाद चन्द्रमा के उदय होने पर शंख में दूध, दूर्वा, सुपारी, गंध, अक्षत से भगवान श्रीगणेश, चंद्रदेव और चतुर्थी तिथि को अर्ध्य दें।
- इस प्रकार बहुला चतुर्थी का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो सकती हैं। यह व्रत संतान दाता तथा धन को बढ़ाने वाला है। इस व्रत से भगवान श्रीगणेश की कृपा हम पर बनी रहती है।


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