
टेस्ट क्रिकेट के सौ साल से भी ज्यादा के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ कि एक ही सीरीज के दो मैच सिर्फ दो दिनों के अंदर खत्म हो गए। ये इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच चल रही एशेज सीरीज में हुआ। पर्थ में हुआ पहला टेस्ट सिर्फ 847 गेंदों में ऑस्ट्रेलिया ने जीत लिया। वहीं, बॉक्सिंग डे टेस्ट में इंग्लैंड ने ऑस्ट्रेलिया को 142 ओवर के अंदर ही हरा दिया। लेकिन यहां क्रिकेट फैंस को एक और बात ने उलझा दिया, वो थी ICC की तरफ से दोनों पिचों को दी गई रेटिंग। दोनों ही टेस्ट मैच एक जैसे तरीके से दो दिनों में खत्म हुए। पर्थ की पिच को ICC ने बहुत अच्छा बताया, जबकि मेलबर्न की पिच को असंतोषजनक कहा। चलिए, ICC के इस फैसले के पीछे की वजह जानते हैं।
वेरी गुड - ये रेटिंग ICC ने पर्थ की पिच को दी थी। याद रहे कि पर्थ में पहले दिन 19 विकेट गिरे थे, और मेलबर्न में 20। आइए देखते हैं कि टेस्ट क्रिकेट में ICC किसी पिच को 'बहुत अच्छा' कैसे मानती है। ऐसी पिचें जो बल्लेबाजों और गेंदबाजों, दोनों को बराबर मदद करती हैं, यानी जिनमें एक तय सीमा से ज्यादा मूवमेंट न हो और शुरुआती घंटों में उछाल एक जैसा रहे। इसके उलट पिचों को 'असंतोषजनक' माना जाता है।
पर्थ टेस्ट में इंग्लैंड की दूसरी पारी खत्म होने तक मैच किसी भी तरफ जा सकता था, हालांकि इंग्लैंड का पलड़ा थोड़ा भारी था। इंग्लैंड का पहली पारी का स्कोर 172 था, और ऑस्ट्रेलिया का 132। दूसरी पारी में इंग्लैंड 164 पर सिमट गया। 205 रनों के लक्ष्य का पीछा करते हुए ऑस्ट्रेलिया ने एक मास्टर स्ट्रोक खेला। उन्होंने ट्रैविस हेड को ओपनर बनाकर भेजा। ऑस्ट्रेलिया ने पर्थ में सिर्फ 28 ओवर में ही मैच जीत लिया, और सिर्फ दो विकेट खोए।
83 गेंदों में 123 रन बनाने वाले हेड ही जीत के हीरो थे। हेड की इस पारी ने एक बात साफ कर दी कि पर्थ की पिच बल्लेबाजी के लिए खराब नहीं थी। सिर्फ हेड ही नहीं, ऑस्ट्रेलिया के एक और खिलाड़ी मार्नस लाबुशेन ने भी अर्धशतक बनाया। इंग्लैंड के लिए हैरी ब्रूक ने भी यही कारनामा किया था। ब्रूक की पारी तो पहले दिन आई थी, जब 19 विकेट गिरे थे।
पर्थ में इंग्लैंड की 'बैजबॉल' सोच की काफी आलोचना हुई। बल्लेबाज गैर-जरूरी शॉट खेलकर अपने विकेट फेंक रहे थे। अगर इंग्लैंड अपनी इस शैली में बदलाव करता, तो शायद मैच का नतीजा कुछ और होता। लेकिन, मेलबर्न में आते-आते हालात पूरी तरह बदल गए। पहले दिन 20 विकेट गिरे और दूसरे दिन 16। इंग्लैंड ने यह मैच चार विकेट से जीता, लेकिन कोई भी बल्लेबाज अर्धशतक नहीं बना सका। 46 रन बनाने वाले हेड ही मेलबर्न के टॉप स्कोरर थे।
मेलबर्न में बल्लेबाजों का औसत सिर्फ 15.8 था और उनका कंट्रोल भी 69% तक ही सीमित रहा। लेकिन पर्थ में बल्लेबाजी का औसत 20 से ऊपर था और कंट्रोल 75% तक पहुंच गया। कह सकते हैं कि इसकी मुख्य वजह हेड की पारी ही थी। अगर वो पारी न होती, तो शायद पर्थ को भी मेलबर्न जैसी ही रेटिंग मिलती। दो दिन में खत्म हुए इन मैचों से क्रिकेट ऑस्ट्रेलिया को भी छोटा-मोटा नुकसान नहीं हुआ है। करीब 30 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। ICC ने मेलबर्न को एक डिमेरिट पॉइंट भी दिया है।