1983 World Cup Win: कपिल देव की विश्व विजेता टीम के वे स्टार जिनके बारे में आप सब कुछ जानना चाहते हैं- देखें 14 PHOTOS
1983 World Cup Win. भारत ने 1983 में विश्व कप जीतकर दुनिया को दंग कर दिया था। इसके बाद से ही भारतीय क्रिकेट टीम का इतिहास बदल गया। 40 साल पहले टीम के खिलाड़ियों के बारे में जानना बेहद दिलचस्प है क्योंकि उनकी खासियत जानकर आप चौंक जाएंगे।
Manoj Kumar | Published : Jun 25, 2023 5:06 AM IST / Updated: Aug 25 2023, 11:50 AM IST
कपिल देव-कप्तान
कपिल देव के करिश्माई और हिम्मती कप्तान कहा जाता है। कपिल देव ने 1983 के विश्व कप में ऐसी पारियां खेली, जो क्रिकेट के इतिहास में अमर हो गई। जिम्बाबवे के खिलाफ 175 रनों की पारी को कोई नहीं भूल सकता। अपनी तेज गेंदबाजी और करिश्माई नेतृत्व से उन्होंने टीम को वर्ल्ड चैंपियन बनाया।
मोहिंदर अमरनाथ
मोहिंदर अमरनाथ टीम के ऑलराउंडर रहे और उन्होंने विश्वकप जीत में बड़ी भूमिका निभाई। सेमीफाइन और फाइनल में मोहिंदर अमरनाथ मैन ऑफ द मैच चुने गए। यह बताता कि उस जीत में मोहिंदर का कितना अहम रोल रहा था।
सुनील गावस्कर
दुनिया के महान बल्लेबाजों में शुमार सुनील गावस्कर ही वह खिलाड़ी रहे जिन्होंने विश्वकप के मैचों में भारत को मजबूत आधार दिया। उनके स्टाइल और अनुभव ने टीम को जीत की राह पर बनाए रखा और साथियों को भी प्रेरित किया।
कृष्णमचारी श्रीकांत
दुनिया के एग्रेसिव ओपनर कहे जाने वाले श्रीकांत की पारियां, वर्ल्ड कप जीत में बड़ी कारगर रहीं। वे तेज पारियां खेलकर मैच का रूख ही बदल देते थे। उनकी एप्रोच का ही नतीजा था कि टीम ने हर मैच जीतने की कोशिश की।
संदीप पाटिल
भारतीय टीम के मध्यक्रम में आकर विस्फोटक पारियां खेलने वाले संदीप पाटिल ने कई यादगार मैच जिताए। वेस्टइंडीज के खिलाफ फाइनल मैच में तो पाटिल का बल्ला ऐसा गरज की पूरी दुनिया दंग रह गई। उनकी पारी ने भारत की जीत को आसान बना दिया।
यशपाल शर्मा
जब भी भारतीय टीम संकट में घिरती तब सबकी निगाहें यशपाल शर्मा की तरफ उठती थी। यह खिलाड़ी ऐसे रहे कि किसी को निराश नहीं किया। इंग्लैंड के खिलाफ सेमीफाइनल मैच में तो यशपाल शर्मा ने गजब ही खेल दिखाया था।
रोजर बिन्नी
स्विंग के उस्ताद रोजर बिन्नी ने लगातार और हर मैच में शानदार गेंदबाजी की। पाकिस्तान के खिला 29 रन देकर 4 विकेट लेने वाले रोजर बिन्नी ने विश्वकप जीत में बड़ी भूमिका निभाई। जब भी टीम को ब्रेक थ्रू की जरूरत होती रोजर बिन्नी वह काम करके देते थे।
कीर्ति आजाद
अपने नाम के अनुसार ही आजाद खेल दिखाने वाले इस खिलाड़ी की कीर्ति आज भी बरकरार है। जिम्बाबवे के खिलाफ कीर्ति की जरूरी 46 रनों की पारी ने भारत को ग्रुप स्टेज में आगे बढ़ने का मौका बनाया था। वे हर मैच में काम की पारियां खेलते रहे।
मदन लाल
मदन लाल को एक्यूरेट मीडियम पेसर कहा जाता है। वे तेज गेंदबाजी के साथ ही भारत के लोअर आर्डर की बैटिंग को धार देने का काम करते रहे। छोटी मगर उपयोगी पारियां खेलना मदनलाल की खासियत थी।
सैयद किरमानी
भारतीय टीम के सबसे स्थायी विकेट कीपर सैयद किरमानी स्टंप के पीछे कमाल का काम करते थे। वे विकेट के पीछे चीते जैसी फुर्ती से गेंद पर झपटते और खिलाड़ी को स्टंप आउट कर देते। कई मौकों पर उन्होंन बेहतरीन कीपिंग की।
बलविंदर सिंह संधू
बलविंदर सिंह संधू की तेज स्विंग से कई बार विरोधी दल के बैटर मात खा जाते हैं। वलविंदर ने फाइनल मैच में जब वेस्टइंडीज के ओपनर्स का विकेट लिया तो पूरा भारत झूम उठा। बलविंदर विश्वकप की जीत के हीरो रहे।
दिलीप वेंगसरकर
शानदार बल्लेबाज दिलीप वेंगसरकर लगातार और हर मैच में रन बनाते रहे। ग्रुप स्टेज में उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ हाफ सेंचुरी लगाई और भारतीय टीम को मानसिक तौर पर जीत के लिए तैयार करने का काम किया। वेंगसरकर की कई यादगार पारियां विश्वकप जीत की धरोहर है।
रवि शास्त्री
रवि शास्त्री भारतीय टीम के वर्सटाइल ऑलराउंडर रहे जिन्होंने टीम की सफलता में शानदार काम किया। वे बेहद इकोनामिकल स्पिन गेंदबाजी करते और मीडिल ऑर्डर में आकर ताबड़तोड़ बैटिंग से विपक्षी टीम में हड़कंप मचा देते।
सुनील वाल्सन
सुनील वाल्सन ऐसे खिलाड़ी रहे, जिन्हें विश्व कप में किसी मैच में खेलने का मौका नहीं दिया गया लेकिन उनकी मौजूदगी ने टीम को मजबूती दी। प्रैक्टिस सेशन में सुनील वाल्सन खूब मेहनत करते और टीम के लिए शानदार काम करते रहे।