क्यों ट्रेन की बर्थ के नीच बैठकर सफर करती थीं महिला खिलाड़ी, अब कैसे बिजनेस क्लास में उड़ती हैं- जानें बदलाव की पूरी कहानी

Published : Mar 05, 2023, 06:18 AM IST
women ipl

सार

हमारे देश में क्रिकेट किसी धर्म से कम नहीं है लेकिन यह क्रेज सिर्फ पुरूषों के क्रिकेट तक ही सीमित था। लेकिन अब समय बदला है और महिला क्रिकेट के हालात भी बदले हैं। आइए जानते हैं कैसे हुआ यह बदलाव? 

Women IPL 2023. आज हम उस मुकाम पर खड़े हैं, जहां महिला खिलाड़ियों की करोड़ों में बोली लग रही है। लाखों लोग महिला क्रिकेट को स्टेडियम, टीवी और मोबाइल पर देख रहे हैं। लेकिन कुछ साल पहले तक ऐसा बिल्कुल भी नहीं था। हालात तो यह रहे कि क्रिकेट के बड़े-बड़े फैन भी महिला खिलाड़ियों का नाम नहीं जानते थे। पूर्व महिला खिलाड़ी डायना एडुल्जी ने खुलासा किया है कि कैसे महिला क्रिकेट बदला और अब महिला प्रीमियर लीग भी शुरू हो रहा है।

पहले कैसे थे महिला क्रिकेट के हालात

एक वक्त ऐसा भी था जब भारतीय महिला टीम को इंटरनेशनल मैच खेलने के लायक तक नहीं माना जाता था। महिला खिलाड़ियों को सुविधाएं न के बराबर मिलती थीं और प्लेयर्स को ट्रेन की बर्थ तक नसीब नहीं होती थी। जिम की व्यवस्था तो छोड़िए ईंट उठाकर महिला खिलाड़ी एक्सरसाइज करती थी। दो केले खरीदने तक के पैसे महिला प्लेयर्स के पास नहीं होते थे। पूर्व क्रिकेटर संध्या अग्रवाल ने हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान कहा कि मैच के बाद जब बैटर आउट होती थीं तो वही ग्लव्ज पहनकर नेक्स्ट बैटर जाती थीं। पूरी टीम के पास सिर्फ दो ही किट होती थी। जीतने पर खिलाड़ियों को पैसे नहीं सिर्फ ट्रॉफी मिलती थी। यही वजह रही कि बहुत समय के बाद महिला टीम को इंटरनेशनल क्रिकेट खेलने का मौका मिला।

कैसा रहा भारतीय महिला टीम का सफर

  • 1973 में भारतीय महिला क्रिकेट संघ का रजिस्ट्रेशन
  • 1973 में इंटरनेशनल महिला क्रिकेट काउंसिल की सदस्यता
  • 1978 में कोलकाता में इंग्लैंड के खिलाफ पहला वनडे
  • 1978 में आईसीसी ने भारतीय महिला टीम को मान्यता दी
  • 1978 में भारतीय महिला टीम ने पहला वर्ल्डकप खेला

 

 

जनरल डिब्बे में सफर करती थी खिलाड़ी

एक और पूर्व खिलाड़ी बताती हैं कि हमें एक टाइम में सिर्फ दो रोटियां और सब्जी ही मिलती थी। न जिम था और न ही कोई फिटनेस ट्रेनर। सुविधा के नाम पर कुछ नहीं था और सफर के लिए महिला खिलाड़ी जनरल बोगियों का सहारा लेती थीं। अपने सामान को ही बिस्तर बनाकर सोना पड़ता था। पूर्व क्रिकेटर डायना एडुल्जी का अनुभव रहा कि हमें टूर के दौरान होटल नहीं डारमेट्री मिलती थी और एक कमरे में 15-20 लड़कियां रूकती थीं। हम विदेशी दौरे पर जाते तो होटल की जगह वहां रहने वाले भारतीयों के घर पर रूकना पड़ता था।

अब महिला टीम के अच्छे दिन

21वीं सदी में भारतीय महिला टीम के अच्छे दिन शुरू और भारत ने एशिया कप में जीत के बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 2017 के वनडे वर्ल्ड कप में भारतीय टीम ने कमाल का प्रदर्शन किया। 2022 में पहली बार महिला खिलाड़ियों की मैच फीस पुरूष खिलाड़ियों के बराबर की गई और 2023 में पहली बार महिला प्रीमियर लीग का आयोजन हो रहा है।

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