इंग्लैंड में होने वाले कॉमनवेल्थ (Commonwealth Games) में भाग लेने के लिए भारतीय खिलाड़ियों का दल पहुंच चुका है। देशवासियों को पदक की उम्मीदें भी हैं। इन खिलाड़ियों में ऐसी भी महिला खिलाड़ी हैं, जिनके चैंपियन बनने का सफर प्रेरणादायी है।
नई दिल्ली. सलीमा टेटे (Salima Tete) भारतीय महिला हॉकी टीम (Indian Woman Hocky) की उस प्लेयर का नाम है, जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक में शानदार प्रदर्शन किया। भारतीय टीम ने सिल्वर मेडल पर कब्जा किया। भारतीय वुमेन हॉकी टीम की तेज तर्रार खिलाड़ी सलीमा टेटे का ओलंपियन बनने तक का सफर चुनौतियों से भरा पड़ा है। 2018 के ओलंपिक खेलों में सलीमा भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान थीं। जिनकी अगुवाई में टीम ने सिल्वर मेडल जीता। आइए जानते हैं कौन हैं सलीमा टेटे और कैसे वे झारखंड के छोटे से गांव से निकलकर दुनियाभर में हुनर का डंका बजा रही हैं।
पिता की प्रेरणा से बढ़ीं आगे
सलीमा टेटे का गांव बड़की छापर झारखंड के सिमडेगा जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर है। गांव की इसी धूल भरी मिट्टी में सलीमा ने बांस की स्टिक से हॉकी खेलना शुरू किया था। आज भी सलीमा का परिवार इसी गांव में रहता है लेकिन उनकी बेटी दुनिया भर में घूम रही हैं और भारतीय हॉकी टीम को जीत दिलाने में मदद कर रही हैं। पीएम मोदी से बातचीत के दौरान सलीमा ने बताया कि वह बचपन में पिता को हॉकी खेलते देखती थीं। फिर उन्हीं के साथ मैदान में जाने लगीं और खेल को करीब से समझा। उनके इस संघर्ष पिता का भी बड़ा योगदान है।
संघर्ष की दास्तां जो बनेगी प्रेरणा
दूसरी बेटी को भी खिलाड़ी बनाना चाहते हैं पिता
हॉकी प्लेयर सलीमा टेटे के पिता सुलक्षण टेटे को अपनी बेटी को गर्व है। पिता का कहना है कि वे अपनी दूसरी बेटी को भी हॉकी खिलाड़ी बनाना चाहते हैं। पिता का कहना है कि मैंने हॉकी प्लेयर बनने की कोशिश की लेकिन कामयाबी नहीं मिल सकी लेकिन बेटियों को खेलता देख उन्हें गर्व होता है। आज सिर्फ पिता को ही नहीं पूरे गांव, प्रदेश और देश को भी सलीमा टेटे की उपलब्धि पर गर्व है। सलीमा टेटे वर्तमान में इंग्लैंड में हैं और कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को मेडल दिलाने के लिए जी-जान से प्रैक्टिस कर रही हैं।