शरणार्थी ओलंपिक टीम की सिंडी नगाम्बा ने पहला मेडल जीत पेरिस में रचा इतिहास

पेरिस ओलंपिक में शरणार्थी ओलंपिक टीम ने अपना पहला मेडल जीता है। बॉक्सिंग में 25 वर्षीय सिंडी नगाम्बा ने सेमीफाइनल में जीतकर मेडल सुनिश्चित कर लिया है।

 

Paris Olympics 2024: पेरिस में ओलंपिक का एक और इतिहास बना है। शरणार्थी ओलंपिक टीम ने पेरिस ओलंपिक के 9वें दिन पहला मेडल जीता है। बॉक्सर सिंडी नगाम्बा ने मुक्केबाजी के क्वार्टर फाइनल में जीतने के साथ अपनी टीम के इतिहास का पहला मेडल सुनिश्चित किया। 25 वर्षीय बॉक्सर समलैंगिक हैं और अपने मूल देश में अवैध हैं। रिफ्यूजी ओलंपिक टीम, साल 2016 में पहली बार रियो ओलंपिक में शिरकत की थी।

कैमरून में जन्म, ब्रिटेन में शरण लीं

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शरणार्थी ओलंपिक टीम के इतिहास में पहला मेडल जीतने वालीं सिंडी नगाम्बा का जनम कैमरून में हुआ था। 11 साल की उम्र में वह ब्रिटेन में शरणार्थी के रूप में पहुंची। 25 वर्षीय मुक्केबाज सिंडी नगाम्बा शरणार्थी ओलंपिक टीम की ओर से पेरिस ओलंपिक में खेल रहीं हैं। बॉक्सिंग के 75 किलोग्राम वर्ग मुकाबला में उन्होंने फ्रांस की डेविना मिशेल को सेमीफाइनल में हराकर ब्रॉन्ज सुनिश्चित किया।

37 देशों के एथलीट, शरणार्थी टीम में खेल रहे

रियो ओलंपिक 2016 में पहली बार शरणार्थी टीम पहुंची थी। यह टीम दुनिया भर के जबरिया विस्थापित लोगों का प्रतिनिधित्व करती है। इस बार पेरिस ओलंपिक में एक दर्जन से अधिक देशों के 37 एथलीट इस टीम में शामिल हैं।

नगाम्बा के लिए ब्रिटेन ने काफी प्रयास किया

ब्रिटेन ने अपनी ओलंपिक टीम में नगाम्बा को शामिल करने के लिए काफी प्रयास किया लेकिन नियम उसमें बाधा बन गए। मुक्केबाजी अधिकारियों ने उन्हें ब्रिटिश पासपोर्ट प्राप्त करने के लिए प्रयास किया लेकिन असफल रहे। नगाम्बा 20 साल की उम्र में अवैध तरीका से रहने के आरोप में अरेस्ट कर शिविर में भेज दी गई थीं। अपने संघर्ष को याद करते हुए बीबीसी को नगाम्बा ने बताया था कि कल्पना कीजिए कि आप बस हस्ताक्षर करने जा रहे हैं और फिर अपने घर वापस जाकर अपना काम करें और फिर आपको हथकड़ी लगाकर वैन के पीछे डाल दिया जाता है। उन्होंने बताया कि उनका पालन-पोषण मुश्किलों से हुआ। स्कूल में खराब अंग्रेजी, वजन और शरीर की दुर्गंध के लिए मजाक उड़ाया जाता था। उन्होंने बताया कि दो जिम टीचर्स ने उसे अपनी देखरेख में मुक्केबाजी सिखाया। नगाम्बा कहती हैं कि अब पुरानी यादें पीछे छूट चुकी है। वह पेरिस में ही रहना उनके लिए बहुत मायने रखता है।

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