विनेश फोगाट ने लौटाया मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड, पीएम मोदी को लेटर में लिखा-आपके घर की बेटी हालात बता रही

विनेश फोगाट ने अपना मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड लौटा दिया है। फोगाट ने पीएम मोदी को मार्मिक लेटर भी लिखा है।

Vinesh Phogat letter to PM Modi: भारतीय कुश्ती का स्वर्णिम इतिहास लिखने वाली पहलवान बेटियां न्याय के लिए एक-एक हार मानने लगी हैं। कुश्ती फेडरेशन में यौन शोषण के आरोपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह के चेले संजय सिंह के जीतने के बाद साक्षी मलिक ने रोते हुए सन्यास का ऐलान किया था तो समर्थन में बजरंग पूनिया और गूंगा पहलवान ने अपना पद्मश्री लौटा दिया था। अब विनेश फोगाट ने अपना मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड लौटा दिया है। फोगाट ने पीएम मोदी को मार्मिक लेटर भी लिखा है।

विनेश फोगाट ने पूछा क्या हमारी बात आप तक नहीं पहुंची...

Latest Videos

पीएम मोदी को लिखे लेटर में विनेश फोगाट ने कई सवाल किए हैं। उन्होंने लिखा कि साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ दी है और बजरंग पुनिया ने अपना पद्मश्री लौटा दिया है। पूरा देश जानता है कि देश के लिए ओलंपिक पदक जीतने वाले खिलाड़ियों को यह सब करने के लिए क्यों मजबूर किया गया; और आप देश के मुखिया हैं तो ये बात आप तक भी पहुंची होगी? आपके घर की बेटी आपको हालात बताने के लिए पत्र लिख रही। विनेश ने लिखा...मुझे याद है साल 2016, जब साक्षी मलिक ने ओलंपिक में पदक जीता था तो आपकी सरकार ने उन्हें "बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" का ब्रांड एंबेसडर नामित किया था। जब इसकी घोषणा की गई थी तो देश की सभी महिला खिलाड़ी खुश थीं और बधाई दे रही थीं। आज जब से साक्षी को कुश्ती छोड़नी पड़ी, मुझे वह साल बार-बार याद आ रहा है। क्या हम महिला खिलाड़ी केवल सरकारी विज्ञापनों में दिखने के लिए ही बने हैं।

पढ़िए पूरा लेटर...विनेश फोगाट का पीएम मोदी के नाम पत्र...

माननीय प्रधानमंत्री जी,

साक्षी मलिक ने कुश्ती छोड़ दी है और बजरंग पूनिया ने अपना पद्मश्री लौटा दिया है। देश के लिए ओलंपिक पदक मेडल जीतने वाले खिलाड़ियों को यह सब करने के लिए किस लिये मजबूर होना पड़ा, यह सब सारे देश को पता है और आप तो देश के मुखिया हूँ तो आपतक भी यह मामला पहुँचा होगा. प्रधानमंत्री जी, मैं आपके घर की बेटी विनेश फोगाट हूँ और पिछले एक साल से जिस हाल में हूँ यह बताने के लिए आपको यह पत्र लिख रही हूँ.

मुझे साल याद है 2018 जब साक्षी मलिक ओलंपिक में पदक जीतकर आई थी तो आपकी सरकार ने उन्हें बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ" की ब्रांड एम्बेसडर बनाया था. जब इसकी घोषणा हुई तो देश की हम सारी महिला खिलाड़ी खुश थीं और एक दूसरे को बधाई के संदेश भेज रही थीं. आज जब साक्षी को कुश्ती छोड़नी पड़ी तबसे मुझे यह साल 2016 बार बार याद आ रहा है. क्या हम महिला खिलाड़ी सरकार के विज्ञापनों पर छपने के लिए ही बनी हैं. हमें उन विज्ञापनों पर छपने में कोई एतराज नहीं है, क्योंकि उसमें लिखे नारे से ऐसा लगता है कि आपकी सरकार बेटियों के उत्थान के लिए गंभीर होकर काम करना चाहती है. मैंने ओलंपिक में मेडल जीतने का सपना देखा था, लेकिन अब यह सपना भी धुंधला पड़ता जा रहा है। बस यही दुआ करूँगी कि आने वाली महिला खिलाड़ियों का यह सपना ज़रूर पूरा हो।

पर हमारी जिन्दगियाँ उन फैंसी विज्ञापनों जैसी बिलकुल नहीं है, कुश्ती की महिला पहलवानों ने पिछले कुछ सालों में जो कुछ भोगा है उससे समझ आता ही होगा कि हम कितना घुट घुट कर जी रही हैं. आपके वो फैंसी विज्ञापनों के फ्लेक्स बोर्ड भी पुराने पड़ चुके होंगे और अब साक्षी ने भी संन्यास ले लिया है. जो शोषणकर्ता है उसने भी अपना दबदबा रहने की मुनादी कर दी है, बल्कि बहुत भौंडे तरीके से नारे भी लगवाए हैं. आप अपनी जिंदगी के सिर्फ 5 मिनट निकालकर उस आदमी के मीडिया में दिए गए बयानों को सुन लीजिए, आपको पता लग जाएगा कि उसने क्या क्या किया है. उसने महिला पहलवानों को मंथरा बताया है, महिला पहलवानों को असहज कर देने की बात सरेआम टीवी पर कबुली है और हम महिला खिलाड़ियों को जलील करने का एक मौका भी नहीं छोड़ा है, उससे ज़्यादा गंभीर यह है कि उसने कितनी ही महिला पहलवानों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया है. यह बहुत भयावह है।

कई बार इस सारे घटनाक्रम को भूल जाने का प्रयास भी किया लेकिन इतना आसान नहीं है। सर, जब मैं आपसे मिली तो यह सब आपको भी बताया था। हम न्याय के लिए पिछले एक साल से सड़कों पर घिसड़ रहे हैं। कोई हमारी सुध नहीं लेरहा।

सर, हमारे मेडलों और अवाडाँ को 15 रुपए का बताया जा रहा है, लेकिन ये मेडल हमें हमारी जान से भी प्यारे हैं। जब हम देश के लिए मेडल जीतीं थीं तो सारे देश ने अपना गौरव बताया। अब जब अपने न्याय के लिए आवाज़ उठायी तो हमें देशद्रोही बताया जा रहा है। प्रधानमंत्री जी, मैं आपसे पूछना चाहती हूँ कि क्या हम देशद्रोही हैं?

बजरंग ने किस हालत में अपना पद्मश्री वापस लौटाने का फ़ैसला लिया होगा, मुझे नहीं पता। पर मैं उसकी वह फोटो देखकर अंदर ही: अंदर घुट रही हूँ। उसके बाद अब मुझे भी अपने पुरस्कारों से घिन्न आने लगी है। जब ये पुरस्कार मुझे मिले थे तो मेरी माँने हमारे पड़ौस में मिठाई बाँटी थी और मेरी काकी ताइयों को बताया था कि विनेश की टीवी में खबर आयी है उसे देखना। मेरी बेटी पुरस्कार लेते हुए कितनी सुंदर लग रही है।

कई बार यह सोचकर घबरा जाती हूँ कि अब जब मेरी काकी ताई टीवी में हमारी हालत देखती होंगी तो वह मेरी माँ को क्या कहती होंगी? भारत की कोई माँ नहीं चाहेगी कि उसकी बेटी की यह हालत हो। अब में पुरस्कार लेती उस विनेश की छवि से छुटकारा पाना चाहती हूँ, क्योंकि वह सपना था और जो अब हमारे साथ हो रहा है यह हक़ीक़त। मुझे मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड दिया गया था जिनका अब मेरी जिंदगी में कोई मतलब नहीं रह गया है। हर महिला सम्मान से जिंदगी जीना चाहती है। इसलिए प्रधानमंत्री सर, मैं अपना मेजर ध्यानचंद खेल रत्न और अर्जुन अवार्ड आपको वापस करना चाहती हूँ ताकि सम्मान से जीने की राह में ये पुरस्कार हमारे ऊपर बोझ न बन सकें।

आपके घर की बेटी

विनेश फोगाट

यह भी पढ़ें:

अतिउत्साह ले डूबा: WFI के नवनिर्वाचित अध्यक्ष का नंदिनी नगर में कुश्ती ट्रायल का ऐलान बन गया 'सरकार' के गले का फांस

Read more Articles on
Share this article
click me!

Latest Videos

20वां अंतरराष्ट्रीय अवॉर्ड, कुवैत में 'द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' से सम्मानित हुए पीएम मोदी
43 साल बाद कुवैत पहुंचे भारतीय पीएम, जमकर लगे मोदी-मोदी के नारे
अब एयरपोर्ट पर लें सस्ती चाय और कॉफी का मजा, राघव चड्ढा ने संसद में उठाया था मुद्दा
बांग्लादेश ने भारत पर लगाया सबसे गंभीर आरोप, मोहम्मद यूनुस सरकार ने पार की सभी हदें । Bangladesh
सचिन तेंदुलकर ने बॉलिंग करती लड़की का वीडियो शेयर किया, बताया भविष्य का जहीर खान #shorts