संवेदना के धागों से बुनी गई किताब है ‘जिंदगी का बोनस’

अशोक चक्रधर ने कहा कि देश की मिली-जुली संस्कृति और संवेदना का इस पुस्तक में दर्शन है, यही भावना प्रमोदक है। संवेदन तंत्रिका को झंकृत कर जाती है। इनकी कहानियों की प्रेरणा उनके सौंदर्य अनुभूति को दर्शाती है। जब मन-मस्तिष्क सुरम्य हो तभी आप रम्य रचनाएं लिख पाते हैं। ये सारी कहानियां खुशियां प्रदान करती हैं। सकारात्मकता से भरपूर हैं यह कहानियां पहले आपकी चेतना को टटोलती है और फिर बोलती हैं।

Asianet News Hindi | Published : Feb 25, 2021 3:39 PM IST

नई दिल्ली । प्रख्यात संस्कृतिकर्मी और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के सदस्य सचिव डा. सच्चिदानंद जोशी की रम्य रचनाओं की पुस्तक ‘ जिंदगी का बोनस ’ का लोकार्पण इंडिया इंटरनेशनल सेंटर में पद्श्री से अलंकृत प्रख्यात व्यंग्यकार अशोक चक्रधर ने किया। इस मौके पर पद्मश्री से सम्मानित नृत्यांगना शोभना नारायण, भारतीय जनसंचार संस्थान के महानिदेशक प्रो.संजय द्विवेदी, कथाकार अल्पना मिश्र, प्रभात प्रकाशन के प्रभात कुमार विशेष रूप से उपस्थित थे।

हर किताब में एक फ्रोजन टाइम होता है
आईआईएमसी के महानिदेशक प्रो.संजय द्विवेदी ने कहा कि यह किताब संवेदना के धागों से बुनी गई है। लेखक की यही संवेदना, आत्मीयता और आनंद की खोज इस पुस्तक का प्राणतत्व है। दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी की प्राध्यापक और लेखिका अल्पना मिश्र ने कहा कि अमेरिका के उपन्यासकार विलियम फॉल्कनर का कहना था कि हर किताब में एक फ्रोजन टाइम होता है। पाठक के हाथ में आकर वह बहने लगता है। घटनाएं जीवंत हो उठती है। इन रचनाओं में जिंदगी के छोटे-छोटे किस्से हैं मगर सरोकार बड़े हैं।

कहानियां पहले आपकी चेतना को टटोलती है, फिर बोलती हैं
अशोक चक्रधर ने कहा कि देश की मिली-जुली संस्कृति और संवेदना का इस पुस्तक में दर्शन है, यही भावना प्रमोदक है। संवेदन तंत्रिका को झंकृत कर जाती है। इनकी कहानियों की प्रेरणा उनके सौंदर्य अनुभूति को दर्शाती है। जब मन-मस्तिष्क सुरम्य हो तभी आप रम्य रचनाएं लिख पाते हैं। ये सारी कहानियां खुशियां प्रदान करती हैं। सकारात्मकता से भरपूर हैं यह कहानियां पहले आपकी चेतना को टटोलती है और फिर बोलती हैं।

हर कहानी देती है सीख
कार्यक्रम की अध्यक्ष प्रसिद्ध नृत्यांगना शोभना नारायण ने कहा कि लघु कथा के इस संग्रह में चिंतन और मनन दिखाई देता है। सामान्य घटनाओं से निष्कर्ष निकालना और सीख लेना मानवीयता, सूक्ष्मता, सूझबूझ और जीवन जीने का साहस भी इसमें दिखाई देता है। साथ ही साथ रसास्वादन भी है। ये रचनाएं ज्ञानवर्धक भी हैं। कौन किस कहानी से क्या सीख ले जाता है लेखक ने यह सूक्ष्मता दिखाई है। इस मौके पर श्री सच्चिदानंद जोशी ने लेखकीय वक्तव्य दिया और अपनी दो कहानियों का पाठ भी किया। कार्यक्रम का संचालन श्रुति नागपाल और आभार ज्ञापन मालविका जोशी ने किया। 

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