
भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार को बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर दी। इस सूची में कुल 71 उम्मीदवारों के नाम हैं। भाजपा ने इस बार जातीय और सामाजिक समीकरणों का ऐसा संतुलन साधा है, जो साफ़ तौर पर बताता है कि पार्टी ने बिहार के हर वर्ग को साधने की कोशिश की है, खासकर सवर्ण, पिछड़ा, अतिपिछड़ा और महिला मतदाताओं को।
पहली सूची में भूमिहार और राजपूत समुदाय के नेताओं की मजबूत मौजूदगी दिख रही है। पार्टी ने इस सूची में 11 भूमिहार और 15 राजपूत उम्मीदवारों को टिकट दिया है। वहीं, ब्राह्मण समाज से 7, कायस्थ से 3, ओबीसी से 17, अति पिछड़ा वर्ग से 11, और SC-ST वर्ग से 6 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा गया है। कुल मिलाकर, भाजपा की यह पहली सूची सामाजिक प्रतिनिधित्व का संतुलित नमूना पेश करती है, लेकिन इसमें सवर्ण वर्ग की पकड़ अब भी मजबूत बनी हुई है।
ब्राह्मण समाज से इस बार 7 उम्मीदवारों को टिकट मिला है, जिनमें कई पुराने चेहरे हैं। भाजपा का लक्ष्य इस वर्ग के परंपरागत वोट को बनाए रखना है, जो 2014 से भाजपा के साथ मजबूती से जुड़ा है। कायस्थ समाज से 3 उम्मीदवार मैदान में हैं। इनका प्रतिनिधित्व सीमित है लेकिन ये सभी प्रभाव वाले शहरी क्षेत्र की सीटों पर हैं।
पहली लिस्ट में 9 महिला उम्मीदवारों को जगह दी गई है, जिनमें कई चर्चित नाम हैं। रेणु देवी (बेतिया), अरुणा देवी (वारिसलीगंज), श्रेयसी सिंह (जमुई), कविता देवी (कोढ़ा), रमा निषाद (औराई) आदि। यह साफ़ दिखाता है कि भाजपा “नारी शक्ति” और “लक्ष्य 2025” के नारे के तहत महिला वर्ग को अपने साथ मजबूती से जोड़ना चाहती है।
भाजपा ने इस बार अपनी सामाजिक इंजीनियरिंग में 17 OBC और 11 अतिपिछड़ा (EBC) उम्मीदवारों को शामिल किया है। यह हिस्सा बिहार की राजनीति में बेहद निर्णायक माना जाता है। नीतीश कुमार के प्रभाव वाले क्षेत्रों में भाजपा अब सीधे “अति पिछड़ा बनाम महागठबंधन” की रणनीति पर चल रही है।
भाजपा की पहली लिस्ट में 6 उम्मीदवार SC-ST वर्ग से हैं। इनमें से अधिकांश दलित बहुल इलाकों जैसे कि गया, नवादा, सासाराम और जहानाबाद से आते हैं। इन उम्मीदवारों को मैदान में उतारकर भाजपा ने साफ किया है कि वह समाज के हर तबके को अपने साथ जोड़ना चाहती है।
भाजपा की पहली लिस्ट जातीय समीकरणों का पूरा गणित समझने लायक है। जहां एक तरफ भूमिहार और राजपूत समाज को पार्टी का कोर वोट बैंक माना गया है, वहीं OBC, EBC, महिला और दलित उम्मीदवारों के जरिए भाजपा ने 2025 के चुनाव को “सामाजिक समरसता और प्रतिनिधित्व” के एजेंडे से लड़ने का संकेत दिया है।
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