
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजनीतिक हलचल चरम पर है और इसी बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह का अचानक बिहार दौरा सभी की नजरें अपनी तरफ खींच रहा है। विशेष विमान से शाम 7 बजे पटना पहुँचने वाले अमित शाह दो दिन तक राज्य में रहकर एनडीए की चुनावी रणनीति को मजबूती देने का प्रयास करेंगे। उनका यह दौरा महज़ औपचारिक नहीं, बल्कि राजनीतिक तौर पर कई मायनों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
सूत्रों के मुताबिक, शाह का दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब एनडीए में सहयोगी दलों के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर असंतोष की खबरें सामने आ रही हैं। हिंदुस्तानी अवामी मोर्चा के नेता जीतनराम मांझी और लोजपा (रामविलास) के सांसद अरुण भारती की तरफ से सीटों की ज्यादा हिस्सेदारी की माँग उठाई जा रही है। एनडीए में गुटबाजी की चर्चा ने भाजपा नेतृत्व को सतर्क कर दिया है, और यही वजह है कि शाह ने सीधे संगठन और कार्यकर्ताओं से संवाद कर स्थिति को संभालने का फैसला किया है।
पटना में रात्रि विश्राम के बाद अमित शाह गुरुवार को दो बड़ी बैठकों में शामिल होंगे। पहली बैठक सासाराम के डेहरी-ऑन-सोन स्थित ललन सिंह स्टेडियम में होगी, जिसमें मगध और शाहाबाद क्षेत्र के दस जिलों, रोहतास, कैमूर, बक्सर, भोजपुर, गया, जहानाबाद, अरवल, नवादा और औरंगाबाद के लगभग 2500 कार्यकर्ता शामिल होंगे। यहाँ सांसदों, विधायकों, विधान पार्षदों और संगठन के पदाधिकारियों के साथ चुनावी रणनीति पर चर्चा होगी।
इसके बाद दोपहर 2 बजे शाह बेगूसराय के रिफाइनरी टाउनशिप खेल मैदान में दूसरी बैठक में शामिल होंगे। इस बैठक में बेगूसराय, पटना महानगर, पटना ग्रामीण, बाढ़, नालंदा, शेखपुरा, मुंगेर, जमुई, लखीसराय और खगड़िया के प्रतिनिधि हिस्सा लेंगे। बताया जा रहा है कि 27 सितंबर को शाह का दौरा शेष जिलों में भी होगा, जिससे यह साफ है कि उनका पूरा फोकस संगठन को सक्रिय करने पर है।
शाह के इस दौरे का सबसे बड़ा एजेंडा एनडीए के भीतर समन्वय कायम करना है। हाल ही में कई सहयोगी दलों की नाराजगी ने भाजपा की रणनीति को प्रभावित करने की आशंका पैदा कर दी थी। सीटों के बंटवारे को लेकर विवाद चुनाव से पहले गठबंधन की एकता को कमजोर कर सकता है। ऐसे में शाह का यह दौरा पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ाने और सहयोगियों के साथ विश्वास बहाली का प्रयास है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि शाह का यह कदम विपक्ष की बढ़ती ताकत और एनडीए के भीतर असंतोष को देखते हुए बेहद रणनीतिक है। अमित शाह खुद सीट बंटवारे की चर्चा से दूरी रखते हुए संगठन की मजबूती पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। वह केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं को जनता तक प्रभावी ढंग से पहुँचाने की रणनीति साझा करेंगे, जिससे चुनावी लाभ हासिल किया जा सके।
कुल मिलाकर, अमित शाह का यह दौरा बिहार की राजनीति में बड़ा संदेश देने जा रहा है। यह साफ संकेत है कि एनडीए चुनावी मैदान में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए हर संभव प्रयास करेगा। विशेष विमान से अचानक बिहार पहुँचना केवल यात्रा नहीं, बल्कि चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा है। आने वाले दिनों में शाह की बैठकों से निकलने वाले संकेत बिहार की राजनीति का रुख तय कर सकते हैं।
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