वर्ष के 365 दिनों में से केवल 15 दिन ही इस स्टेशन पर ट्रेन रुकती है. बाकी किसी भी दिन यहां कोई ट्रेन नहीं रुकती, न ही कोई उतरता है, न ही चढ़ता है. आखिर यह खास रेलवे स्टेशन कहां है? और क्यों है ऐसा?
भारतीय रेलवे प्रतिदिन करोड़ों लोगों को रेल सेवा प्रदान करता है. भारत के अधिकांश यात्री रेल सेवा पर ही निर्भर हैं. आज भारतीय रेलवे आधुनिकीकरण की ओर अग्रसर है. नई ट्रेनें, वंदे भारत, उच्च श्रेणी के रेलवे स्टेशन प्रदान कर रहा है. लंबी दूरी की ट्रेनें प्रमुख स्टेशनों पर रुकती हैं. वहीं स्थानीय, कम दूरी की ट्रेनें लगभग हर स्टेशन पर रुकती हैं. लेकिन एक स्टेशन ऐसा भी है जहां साल में सिर्फ़ 15 दिन ही ट्रेन रुकती है. बाकी दिनों में यहां न कोई ट्रेन रुकती है, न ही कोई आता-जाता है. यह जगह उस दौरान वीरान पड़ी रहती है.
365 दिनों में से केवल 15 दिन ही इस रास्ते से गुजरने वाली सभी ट्रेनें यहां रुकती हैं. यह खास रेलवे स्टेशन बिहार में स्थित है. अनुग्रह नारायण रोड रेलवे स्टेशन ही यह अनोखा और रोचक रेलवे स्टेशन है. इस रेलवे स्टेशन पर टिकट काउंटर भी नहीं है. क्योंकि साल के 15 दिनों को छोड़कर यहां कोई भी ट्रेन नहीं रुकती है.
यह एक छोटा सा रेलवे स्टेशन है. लेकिन पितृ पक्ष के दौरान इस रेलवे स्टेशन पर ट्रेन रुकती है. जी हां, पितृपक्ष के 15 दिनों तक सभी ट्रेनें यहां रुकती हैं. इसका कारण है, इस रेलवे स्टेशन के बगल से ही पनपन नदी बहती है. इसे आदि गंगा नदी भी कहा जाता है. नदी के किनारे पनपन घाट पर पिंडदान, पितृपक्ष विधि-विधान किए जाते हैं. यहां विधि-विधान करने वालों को मोक्ष की प्राप्ति होती है, ऐसी मान्यता है.
खासकर पितृपक्ष के कार्यों के लिए यह नदी घाट बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. केवल पितृपक्ष में ही यहां लोग आते हैं. बाकी किसी भी दिन यहां कोई नहीं आता है. इसलिए पितृपक्ष के दौरान दूर-दूर से लोग यहां आकर विधि-विधान करते हैं. यही कारण है कि इन 15 दिनों के लिए ही यहां ट्रेन रुकती है. इस रेलवे स्टेशन से गुजरने वाली सभी ट्रेनें साल में इन 15 दिनों के लिए यहां रुकती हैं.
बाकी दिनों में यह रेलवे स्टेशन झाड़ियों से घिरा रहता है. इस रेलवे स्टेशन पर पीने का पानी, शौचालय, महिलाओं के लिए चेंजिंग रूम जैसी कोई भी बुनियादी सुविधा उपलब्ध नहीं है.