बिहार के बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह 16 साल बाद जेल से रिहा, पढ़िए दलित IAS को भीड़ से मरवाने वाले खूंखार रॉबिनहुड की कहानी

IAS अधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के तीन दशक पुराने मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन 27 अप्रैल को 26 अन्य लोगों के साथ जेल से रिहा हो गए।

पटना. IAS अधिकारी जी कृष्णैया की हत्या के तीन दशक पुराने मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे बिहार के पूर्व सांसद आनंद मोहन 27 अप्रैल को 26 अन्य लोगों के साथ जेल से रिहा हो गए। भीड़ इकट्ठी होने की आशंका को देखते हुए रात में ही सारी कागजी कार्यवाही पूरी करके उन्हें तड़के 4 बजे जेल से रिहा करने की बात सामने आई थी। हालांकि जेल सुपरिटेंडेंट अमित कुमार के मुताबिक रिहाई 6.15 बजे हुई।

राज्य के कानून विभाग ने सोमवार देर रात जारी एक नोटिफिकेशन में आनंद मोहन सहित 27 लोगों को रिहा करने का आदेश दिया था, जिनमें से सभी ने 14 साल या उससे अधिक समय जेल में बिताया है। ट्रायल कोर्ट ने गोपालगंज के तत्कालीन कलेक्टर जी कृष्णैया की हत्या के लिए मोहन को मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। हालांकि, एक हाईकोर्ट ने इसे आजीवन कारावास में बदल दिया था। इधर, दलित संगठन भीम आर्मी भारत एकता मिशन ने पटना हाईकोर्ट में इस रिहाई के खिलाफ जनहित याचिका दाखिल की है।

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1. आनंद मोहन सिंह ने 26 अप्रैल को 15 दिन की पैरोल खत्म होने के बाद सरेंडर किया था। इसके साथ ही उनकी जेल में रिहाई की प्रक्रिया शुरू हो गई थी।

2. बाहुबली आनंद की रिहाई को जश्न के तौर पर मनाने की पहले से ही तैयारियां कर दी गई थीं। जेल से घर तक करीब 20 किमी तक रोड शो रखा गया था। साथ ही जगह-जगह फूल-मालाओं से भी सम्मान की तैयारियां की गई थीं।

3.आनंद मोहन को अपनी जेल से रिहाई की खबर तब मिली थी, जब वो पैरोल पर अपने बेटे राजद विधायक चेतन आनंद की सगाई का जश्न मना रहे थे।

4. तब मीडिया से बात करते हुए आनंद मोहन ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रति आभार व्यक्त किया था, जो डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के साथ पटना के बाहरी इलाके में आयोजित समारोह में उपस्थित थे।

5.आनंद मोहन की कथित तौर पर रिहाई के लिए कैबिनेट ने जेल नियमों में संशोधन को मंजूरी दी थी। इसके तहत पहले सरकारी कर्मचारी की हत्या जैसे गंभीर मामलों में शामिल लोगों को 14 साल जेल में गुजारने के बावजूद रिहा नहीं किया जा सकता था।

6.अपने स्वर्णिम काल में खुद को रॉबिनहुड जैसी शख्सियत बताने वाले आनंद मोहन हाथ में बंदूक पकड़े फोटोग्राफरों के लिए पोज देना पसंद करते थे।

7. आनंद मोहन अकसर हथियारों से लैस गुर्गों से घिरे देखे जाते थे। मोहन को राजपूतों के बीच बेहद लोकप्रिय कहा जाता रहा है, जो एक प्रभावशाली अपर कास्ट मानी जाती है।

8.रिहा होने वाले 27 कैदियों की लिस्ट में मुख्यमंत्री की जद (यू) से जुड़े पूर्व विधायक अवधेश मंडल भी शामिल हैं। मंडल की पत्नी बीमा भारती जद (यू) की मौजूदा विधायक और पूर्व मंत्री हैं। वह फिलहाल भागलपुर जेल में बंद है।

9. रिहा होने वाले कैदियों की लिस्ट में राज बल्लभ यादव (बक्सर) और चंदेश्वरी यादव (भागलपुर) की आयु 80 वर्ष से अधिक हो चुकी है। इस लिस्ट में राम प्रदेश सिंह (गया) जैसे लोग भी शामिल हैं, जिन्हें 1985 में दोषी ठहराया गया था।

10. सभी 27 कैदियो में से स्पॉटलाइट 75 साल के मोहन पर रही है, जिन्हें 1994 में मुजफ्फरपुर में भीड़ द्वारा IAS कृष्णैया की पीट-पीटकर हत्या किए जाने के एक दशक से भी अधिक समय बाद 2007 में दोषी ठहराया गया था।

11. 1985 बैच के एक IAS अधिकारी कृष्णैया तेलंगाना के रहने वाले थे और एक दलित थे। उन्हें पीट-पीटकर मार डाला गया था। हुआ यूं था कि गैंगस्टर छोटन शुक्ला की अंतिम यात्रा को कृष्णैया की कार ने ओवरटेक करन की कोशिश की थी। इसके बाद भीड़ उन पर टूट पड़ी थी।

12.मोहन सिंह तब सहरसा जिले के महिषी से विधायक थे। वे भूमिहार समुदाय के खूंखार गैंगस्टर छोटन शुक्ला की हत्या का शोक मनाने के लिए मुजफ्फरपुर आए थे। मोहन मारे गए अपर कास्ट के बाहुबली छोटन शुक्ला के बहुत गहरे दोस्त थे। इनकी हत्या का आरोप बृज बिहारी प्रसाद पर लगाया गया था, जो एक ओबीसी बाहुबली व्यक्ति थे। ये बाद मेंराबड़ी देवी सरकार में मंत्री बने।

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