
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 का बिगुल बज चुका है, लेकिन इस बार भी चुनावी रण में राजनीति और बाहुबल का पुराना गठजोड़ एक बार फिर खुलकर सामने आ गया है। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की हालिया रिपोर्ट और चुनावी विश्लेषणों के अनुसार, राज्य की अलग-अलग सीटों पर 22 ऐसे उम्मीदवार मैदान में उतारे गए हैं, जिन पर गंभीर आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। इनमें से 14 उम्मीदवारों के खिलाफ तो हत्या, अपहरण, रंगदारी और गंभीर हिंसक अपराधों के मामले चल रहे हैं।
ADR की रिपोर्ट बताती है कि इस बार चुनाव लड़ने वाले हर पाँच में से एक उम्मीदवार के खिलाफ कोई न कोई आपराधिक मामला दर्ज है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में ऐसे गंभीर बाहुबली उम्मीदवारों की संख्या 17 थी, जो 2025 में बढ़कर 22 हो गई है, यानी बिहार में बाहुबल का प्रभाव घटा नहीं, बल्कि और बढ़ गया है।
चुनावी मैदान में दागदार चेहरों को उतारने के मामले में सभी प्रमुख दलों ने टिकट वितरण में जोखिम लिया है। हालांकि, सबसे ज़्यादा उम्मीदवार महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। आंकड़ों के अनुसार, राजद ने 9 बाहुबलियों या उनके परिवार के सदस्यों को टिकट दिया है, जो किसी भी अन्य दल से सबसे ज़्यादा है। इसके बाद, सत्ताधारी गठबंधन की जनता दल यूनाइटेड (JDU) 7 ऐसे चेहरों को मैदान में उतारकर दूसरे स्थान पर है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने भी 4 दागदार चेहरों पर दाँव लगाया है। चिराग पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने भी 2 उम्मीदवारों को टिकट दिया है।
पार्टियों ने न सिर्फ आपराधिक पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवारों को टिकट दिया है, बल्कि कई हाई-प्रोफाइल बाहुबलियों के पत्नियों या रिश्तेदारों को भी मैदान में उतारा है, ताकि उनकी जातिगत और क्षेत्रीय पकड़ का फायदा उठाया जा सके।
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के प्रमुख बाहुबली उम्मीदवार
जनता दल यूनाइटेड (JDU) के प्रमुख उम्मीदवार
भाजपा (BJP) उम्मीदवार
लोजपा (रामविलास) [LJP(R)] उम्मीदवार
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