करोड़पति नहीं बन सके दीपक पर "करोड़पति चायवाला" के नाम से खोली है दुकान, सूट-बूट पहनकर बेचते हैं चाय

Published : Feb 08, 2023, 09:31 PM IST
Crorepati Chaiwala

सार

दीपक करोड़पति भले ही नहीं बन सके, पर उन्होंने “करोड़पति चायवाला” के नाम से दुकान खोली है और सूट-बूट पहनकर चाय बेचते हैं। दुकान का नाम “करोड़पति चायवाला” है, लेकिन दुकान छोटी सी रेहड़ी से संचालित हो रही है।

भागलपुर। दीपक करोड़पति भले ही नहीं बन सके, पर उन्होंने “करोड़पति चायवाला” के नाम से दुकान खोली है और सूट-बूट पहनकर चाय बेचते हैं। दुकान का नाम “करोड़पति चायवाला” है, लेकिन दुकान छोटी सी रेहड़ी से संचालित हो रही है, ज्यादातर मध्यम वर्ग के लोग ही यहां चाय पीने आते हैं। सुबह से ही दुकान पर चाय पीने वालों की जुटान होने लगती है। इस वजह से उनके जीवन में बदलाव भी आया है। अब दुकान के नाम की वजह से लोग दीपक को “करोड़पति चायवाला” के नाम से संबोधित करते हैं और यह उनको भाता भी है।

रोजगार नहीं मिलने पर की शुरुआत

सोशल मीडिया पर “करोड़पति चायवाला” वायरल हो चला है, लोग उनके इस अनोखे प्रयास की सराहना कर रहे हैं। तिलकमांझी चौक से करीब 100 मीटर की दूरी पर स्थित यह दुकान दीपक के भरण पोषण का जरिया बन चुकी है और खूब चर्चा भी बटोर रही है। उनका कहना है कि वह किसी भी काम को छोटा नहीं समझते हैं। रोजगार नहीं मिलने की वजह से उन्होंने इस दुकान की शुरुआत की।

नाम की वजह से लोग होते हैं आकर्षित

उनका यह भी मानना है कि वह करोड़पति नहीं बन पाएं, इसीलिए उन्होंने “करोड़पति चायवाला” के नाम से दुकान खोली। कम से कम उन्हें इसी बहाने लोग करोड़​पति नाम से संबोधित करेंगे। करोड़पति संबोधन सुनना उन्हें अच्छा लगता है। वह कहते हैं कि रोड के किनारे बहुत सारे लोग पैसा कमाते हैं, पर वह अपने आपको छोटा समझते हैं। उनके दुकान की विशेषता यह है कि उनकी दुकान पर शुद्ध दूध की चाय बनायी जाती है। दुकान का नाम परम्परागत नामों से हटकर है। इस वजह से लोग दुकान की तरफ आकर्षित होते हैं।

अनोखे नाम से चाय की दुकान खोलने का आया विचार

दीपक ने बेंगलुरु में रहकर दो साल पढाई की, पर जब उन्हें जॉब नहीं मिला तो उनके दिमाग में खुद का काम शुरु करने का विचार कौंधा और उन्होंने एक अनोखे नाम के साथ चाय की दुकान शुरु करने का निर्णय लिया। दीपक का कहना है कि उन्होंने एक-दो साल पहले से ही चाय की दुकान खोलने के बारे में सोच रखा था। सामान्यत: चाय घरों में इस्तेमाल की जाती है। जब वह बेंगलुरु थे, तब उन्होंने वहां चाय बनाकर लोगों को पिलाया। बाद में परिवार के प्रेशर की वजह से सोचा कि यहीं सेटल हो जाए।

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