
Bihar News: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियां ज़ोरों पर हैं। चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होने वाले हैं, लेकिन पार्टियों में टिकट पाने के लिए मंथन अभी से शुरू हो गया है। हर पार्टी में टिकट चाहने वाले नेता न सिर्फ़ अपना बायोडाटा तैयार कर रहे हैं, बल्कि दूसरे नेताओं का भी बायोडाटा तैयार करवा रहे हैं ताकि कमियां निकाल सकें। बिहार के राजनीतिक गलियारों में उम्मीदवारों की सूची को लेकर चर्चाएं तेज हैं। इस बीच, कुछ बड़े चेहरों के चुनाव लड़ने पर संशय की खबरें भी आने लगी हैं। ख़ासकर लगभग 100 मौजूदा विधायक जो आपराधिक मामलों, उम्र सीमा और पार्टी की रणनीति में फिट नहीं बैठते, उन्हें भी टिकट कटने का डर है। ख़ास बात यह है कि इसमें 10 से 20 बुज़ुर्ग विधायकों के नाम भी शामिल हैं। आइए एक नजर डालते हैं उन 10 चेहरों पर जिनका टिकट बिहार चुनाव 2025 में कटना लगभग तय है।
2020 का चुनाव जीतने वाले 58 विधायक ऐसे हैं जिनकी उम्र 61 से 70 साल के बीच है। 66 फीसदी दागी विधायक विधानसभा पहुंचे। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, आपराधिक मामलों, उम्र सीमा और पार्टी की रणनीति के चलते कई बड़े नेताओं को बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में नहीं उतारा जा रहा है। मौजूदा बिहार विधानसभा में कई बुजुर्ग विधायक हैं, जिनमें से कुछ की उम्र 80 साल को छू चुकी है, कुछ 75 पार कर चुके हैं और कुछ 60 से 70 के बीच हैं। इनमें से कई को भाजपा और जदयू की आयु सीमा नीति के कारण 2025 में टिकट मिलना मुश्किल हो सकता है।
सुपौल से जदयू विधायक बिजेंद्र प्रसाद यादव मौजूदा विधानसभा में सबसे उम्रदराज विधायक हैं। यादव 80 साल पार करने वाले हैं। इमामगंज सीट से 2020 का विधानसभा चुनाव जीतने वाले केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने 74 साल की उम्र में चुनाव जीता था। हालांकि, बाद में उन्होंने इस्तीफा देकर गया सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और जीतकर केंद्रीय मंत्री बने। बिहार विधानसभा अध्यक्ष नंद किशोर यादव भी 73 साल के होने वाले हैं। मौजूदा विधानसभा में सबसे ज़्यादा 12 बुज़ुर्ग विधायक जेडीयू से हैं। इसके बाद बीजेपी का नंबर आता है।
बिहार में भाजपा और जदयू की आयु सीमा नीति इस चुनाव में बड़े पैमाने पर लागू हो सकती है। भाजपा में मोदी-शाह युग में इसे खूब अपनाया जा रहा है। हाल ही में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने भी इसका समर्थन किया था। बिहार में भी 75 साल से ज़्यादा उम्र के नेताओं को मार्गदर्शक की भूमिका में रखने की वकालत शुरू होने वाली है। जेडीयू में बिजेंद्र प्रसाद यादव जैसे वरिष्ठ नेताओं का टिकट कटना लगभग तय है, जबकि लालू प्रसाद यादव और अनंत सिंह जैसे नेता क़ानूनी अड़चनों के चलते बाहर हैं। अरुण कुमार सिन्हा और नंदकिशोर यादव जैसे बुज़ुर्ग विधायकों की सूची में शामिल कई नेता बीजेपी के मज़बूत चेहरे हैं, लेकिन युवा चेहरों को मौका देने की रणनीति उनके लिए चुनौती बन सकती है।
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कुल मिलाकर, बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में उम्र और क़ानूनी अड़चनों के चलते कई बड़े चेहरों का मैदान से बाहर होना तय है। युवा नेतृत्व पर ज़ोर देने की बीजेपी और जेडीयू की रणनीति ने नंदकिशोर यादव जैसे दिग्गजों को भी संदेह के घेरे में ला दिया है। दूसरी ओर, तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर जैसे नेता युवा और अति पिछड़े मतदाताओं को लुभाने में जुटे हैं। यह राजनीतिक समीकरण बिहार की राजनीति में एक नया रंग लाएगा और मतपेटियाँ ही बताएंगी कि किसमें कितना दम है।
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