
Bihar CAG Report Revelation: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) की रिपोर्ट गुरुवार को बिहार विधानसभा में पेश की गई। इस रिपोर्ट में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। सबसे बड़ा सवाल 70 हजार करोड़ रुपये से ज़्यादा की उस राशि को लेकर उठा है, जिसका सरकार ने अभी तक कोई उपयोगिता प्रमाण पत्र (Utility Certificate) जमा नहीं किया है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वित्तीय वर्ष 2023-24 में राज्य की विकास दर 14.47% रही, जो राष्ट्रीय औसत से ज़्यादा है। हालांकि, रिपोर्ट में बजट व्यय, बकाया देनदारियों और प्रमाण पत्रों की कमी पर गंभीर चिंताएं जताई गई हैं।
बिहार सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए 3.26 लाख करोड़ रुपये से अधिक का बजट रखा था, लेकिन इसमें से केवल 79.92 प्रतिशत यानी लगभग 2.60 लाख करोड़ रुपये ही खर्च हो पाए। जबकि कुल बचत राशि 65,512 करोड़ रुपये में से केवल 23,875 करोड़ रुपये ही वापस किए गए। यानी सरकार द्वारा खर्च की गई राशि का एक बड़ा हिस्सा ऐसा है, जिसकी न तो समय पर उपयोगिता रिपोर्ट दी गई और न ही पारदर्शी जवाब।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पंचायती राज, शिक्षा, नगर विकास, ग्रामीण विकास और कृषि जैसे विभागों ने सबसे ज़्यादा पैसा खर्च किया, लेकिन इनके खर्च का कोई स्पष्ट रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। अकेले पंचायती राज विभाग पर 28,154 करोड़ रुपये के खर्च का कोई हिसाब नहीं है, जबकि शिक्षा विभाग पर 12,623 करोड़ रुपये, नगर विकास पर 11,065 करोड़ रुपये और ग्रामीण विकास पर 7,800 करोड़ रुपये का हिसाब-किताब पेश नहीं किया गया है।
राज्य सरकार की ओर से मंत्री जीवेश कुमार ने कहा कि उन्हें इस रिपोर्ट की जानकारी नहीं है। वहीं, जदयू विधायक शालिनी मिश्रा ने रिपोर्ट पर सफाई देते हुए कहा कि उपयोगिता प्रमाण पत्र न देने का मतलब यह नहीं है कि सरकार ने घोटाला किया है। सरकार पाई-पाई का हिसाब रखती है। लेकिन कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार ने आरोप लगाया कि यह सरकार नौकरशाही द्वारा चलाई जा रही है, जिसके कारण पारदर्शिता और जवाबदेही खत्म हो गई है।
विधानसभा में लोक लेखा समिति के अध्यक्ष भाई वीरेंद्र ने कहा है कि अगर मामला उनके पास आता है तो वे दोनों पक्षों की बात सुनने के बाद जांच करेंगे। वहीं, राजद विधायक ललित नारायण यादव ने साफ कहा कि उपयोगिता प्रमाण पत्र न होने का मतलब है कि पैसा खर्च तो हुआ, लेकिन वह कहां गया, इसका कोई ठोस सबूत नहीं है।
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कैग रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि सरकार ने 31 मार्च 2024 तक 9,205 करोड़ रुपये से अधिक के सारांश आकस्मिक बिल यानी डीसी बिल जमा नहीं किए हैं। इनमें से 7,120 करोड़ रुपये के डीसी बिल पिछले वित्तीय वर्ष 2022-23 से संबंधित हैं। ऐसे में समय पर हिसाब न देने से वित्तीय पारदर्शिता पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
कैग रिपोर्ट नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) द्वारा तैयार किया गया एक आधिकारिक दस्तावेज है। इस रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य सरकार के वित्तीय लेन-देन, व्यय, राजस्व और नीतियों के कार्यान्वयन का लेखा-परीक्षण करना है।
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