बिहार में मतदान प्रतिशत की यात्रा राजनीतिक बदलावों को दर्शाती है। शुरुआती 40-50% से बढ़कर, 1990 के दशक में यह 62% के पार पहुँचा। 2005 की गिरावट के बाद, 2025 में 64.66% के साथ एक नया रिकॉर्ड बना।
बिहार चुनाव 2025: आज़ादी के बाद से, बिहार विधानसभा चुनावों में मतदान प्रतिशत की यात्रा राज्य की बढ़ती राजनीतिक जागरूकता और सामाजिक बदलावों का दर्पण रही है। मतदान के रुझानों को तीन प्रमुख चरणों में विभाजित किया जा सकता है, जो मतदाताओं की भागीदारी के स्तर और उत्साह को दर्शाते हैं।
शुरुआती उदासीनता और स्थिर भागीदारी (1951 - 1977)
आज़ादी के शुरुआती दो दशकों में मतदान का प्रतिशत अपेक्षाकृत कम और स्थिर रहा।
कम शुरुआत (40% के आसपास): पहले तीन चुनावों (1951-52, 1957, 1962) में भागीदारी 42% से 44% के बीच सिमटी रही। यह कम भागीदारी, साक्षरता की कमी, ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता के अभाव और पारंपरिक सामाजिक संरचनाओं के प्रभाव को दर्शाती थी।
50% का शुरुआती ब्रेकथ्रू: 1967 में पहली बार मतदान 50% के पार (51.51%) गया, जो राज्य की राजनीति में बढ़ते ध्रुवीकरण और नए सामाजिक वर्गों की राजनीतिक भागीदारी का संकेत था। 1970 के दशक तक यह आंकड़ा 50% से 53% के बीच टिका रहा।
मंडल-कमंडल युग की 'महा-भागीदारी' (1980 - 2000)
1980 के दशक के अंत और 1990 के दशक में बिहार की राजनीति में बड़ा बदलाव आया। सामाजिक न्याय की राजनीति के उभार और ओबीसी/दलित समुदायों की बढ़ी हुई लामबंदी ने चुनावी भागीदारी को ऐतिहासिक ऊंचाइयों पर पहुँचा दिया।
60% का रिकॉर्ड उछाल: 1990 के चुनाव में मतदान प्रतिशत सीधे 62.04% तक पहुँच गया। यह बिहार के लोकतांत्रिक इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जिसने दिखाया कि वंचित और पिछड़े वर्ग अब निर्णायक शक्ति बन चुके थे।
स्थिर उच्च भागीदारी: 1995 (61.79%) और 2000 (62.57%) में भी यह उत्साह बरकरार रहा। साल 2000 का 62.57% का आंकड़ा 2025 तक राज्य का सर्वोच्च मतदान प्रतिशत बना रहा।
अप्रत्याशित गिरावट और आधुनिक पुनर्जागरण (2005 - 2025)
21वीं सदी की शुरुआत में मतदान के पैटर्न में एक अप्रत्याशित गिरावट और फिर एक स्थिर वृद्धि देखी गई।
2005 की बड़ी गिरावट: 2005 में राजनीतिक अस्थिरता के कारण दो विधानसभा चुनाव हुए, और दोनों में ही मतदान प्रतिशत नाटकीय रूप से गिरकर 46% के आसपास आ गया। यह मतदाताओं की निराशा या राजनीतिक अनिश्चितता का परिणाम हो सकता है।
नई भागीदारी (50% से 60%): 2010 से राज्य में शासन और विकास पर जोर बढ़ा, जिसके कारण भागीदारी फिर से बढ़ी। 2015 में 56.91% और 2020 में 57.29% मतदान हुआ। इस चरण में महिला मतदाताओं की भागीदारी में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।
2025 का ऐतिहासिक रिकॉर्ड: विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में 64.66% की रिकॉर्ड-तोड़ भागीदारी ने राज्य के 74 साल के लोकतांत्रिक इतिहास के सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए, जो आधुनिक बिहार के मतदाताओं की उच्चतम सक्रियता और जागरूकता को दर्शाता है।
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