बिहार: ध्यान दें DEO..विद्यालयों के गलत इंस्पेक्शन रिपोर्ट पर कार्रवाई, महीने भर में दुरुस्‍त करनी होंंगी ये चीजें

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) डॉ. एस सिद्धार्थ ने सभी डीईओ को पत्र जारी कर महीने भर के अंदर विद्यालयों के रख रखाव से लेकर पठन-पाठन तक व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं।

Rajkumar Upadhyay | Published : Jul 3, 2024 12:41 PM IST / Updated: Jul 03 2024, 06:13 PM IST

पटना। बिहार में रैंडम आधार पर 5 जिलों के इंस्पेक्शन रिपोर्ट (निरीक्षण प्रतिवेदन) की समीक्षा में गड़बड़ी सामने आई है। यह देखते हुए सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों (डीईओ) से जिला और मुख्यालय स्तर से प्राप्त सभी इंस्पेक्शन रिपोर्ट खुद देखने को कहा गया है, मॉनीटरिंग के साथ ग​लतियों को भी ठीक कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। गलत इंस्पेक्शन रिपोर्ट देने वाले पदाधिकारियों पर कार्रवाई भी होगी। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव (एसीएस) डॉ. एस सिद्धार्थ ने सभी डीईओ को इस संबंध में पत्र जारी कर महीने भर के अंदर विद्यालयों के रख रखाव से लेकर पठन पाठन तक व्यवस्था दुरुस्त करने के निर्देश दिए हैं।

शिकायतों में सामने आ रहे आश्चर्यजनक तथ्य

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डॉ. एस सिद्धार्थ ने जारी किए गए पत्र में कहा है कि 16 जून 2024 से 5 मोबाइल पर विभिन्न प्रकार के शिकायत प्राप्त हो रहे हैं। उसमें आश्चर्यजनक तथ्य सामने आ रहे हैं। यदि सभी विद्यालयों का निरीक्षण डेली शत प्रतिशत किया गया है तो ऐसी शिकायतें नहीं आनी चाहिए। सभी विद्यालयों का गंभीरता से निरीक्षण किया जाए। गलत इंस्पेक्शन रिपोर्ट पाए जाने पर निरीक्षण करने वाले पदाधिकारी पर कार्रवाई होगी।

विद्यालय में कमरों का अभाव हो तो भेजे प्रस्ताव

उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि विद्यालय भवनों की छत, फर्श और दरवाजे एवं खिड़कियाँ सही होनी चाहिए। कक्षा के अनुपात में कमरों का अभाव हो तो नजदीक के सामुदायिक भवन में क्लास चलाई जाए और नये निर्माण के लिए प्रस्ताव भेजा जाए। स्कूलों में बेंच-डेस्क की व्यवस्था हो। बाढ़ के समय इन्हें सुरक्षित स्थान पर रखा जाए। हर​ विद्यालय में पीने के पानी की व्यवस्था होनी चाहिए। यह भी जानकारी मिली है कि सबरसेवल पम्प तो लगा दिया गया है पर पानी की टंकी और नल नहीं लगाया गया है। जहाँ सबरसेवल पम्प लगाया गया है, उसके साथ टंकी और नल भी लगाया जाय।

कमी पाए जाने पर डीईओ होंगे जिम्मेदार

प्रत्येक विद्यालय में लड़के एवं लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय की व्यवस्था होनी चाहिए। साथ ही नियमित रूप से साफ-सफाई एवं पानी की व्यवस्था भी सुनिश्चित कराई जाए। बच्चों की उपस्थिति, मध्यान्ह भोजन योजना, एफएलएन किट, शिक्षकों के शिकायतों का निवारण और आउटसोर्सिंग एजेंसी की व्यवस्था के संबंध में भी निर्देश दिए गए हैं। साथ ही कहा गया है कि यदि एक माह के बाद निरीक्षण में किसी प्रकार की कमी पाई गई तो पूरी जिम्मेदारी डीईओ की होगी।

हर सप्ताह लगाएं शिक्षक दरबार

एसीएस डॉ. एस सिद्धार्थ ने कहा है कि टीचर्स की शिकायतें सीधे राज्य मुख्यालय पर पहुंच रही हैं। उन्हें प्रखंड या जिला स्तर पर नहीं सुना जा रहा है। डेली करीब 50 टीचर अपर मुख्य सचिव कार्यालय भी पहुंच जाते हैं। इसलिए प्रखंड शिक्षा और जिला शिक्षा पदाधिकारी हर सप्ताह के शनिवार को विद्यालय अवधि के बाद शिक्षक दरबार लगाएंगे और टीचर्स की समस्याओं को सुनकर उनका समाधान करें। ताकि शिक्षकों को अनावश्यक शिक्षण कार्य छोड़कर राजधानी के चक्कर न काटने पड़ें।

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