
पटना। लोकसभा चुनाव के बाद बिहार में नीतीश सरकार की ओर से नौकरी और शिक्षा के लिए घोषित 65 फीसदी आरक्षण की घोषणा को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। सीएम नीतीश ने पिछले साल राज्यव्यापी जातीय सर्वेक्षण के बाद इसकी शुरुआत की थी। राज्य सरकार के इस कदम को हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट की ओर से तय 50 फीसदी सीमा से अधिक होने चलते खारिज कर दिया है।
हाईकोर्ट का ये आदेश मुख्य न्यायाधीश के विनोद चंद्रन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने नवंबर 2023 में नीतीश कुमार सरकार की ओर से लाए इस कानून के विरोध में दर्ज याचिका पर सुनवाई करते हुए सुनाया है। नीतीश कुमार ने जेडीयू तब राजद और कांग्रेस से संबद्ध थी उस समय से घोषणा की थी। हालांकि एक महीने बाद नीतीश ने भाजपा का दामन थाम लिया था और फिर से मुख्यमंत्री बन गए थे।
पढ़ें PM मोदी का हाथ पकड़कर ये क्या देख रहे BIHAR के सीएम नीतीश कुमार, आप भी देखें वीडियो
मार्च में कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा, आज सुनाया
आरक्षण मामले में याचिकाकर्ताओं की ओर से पेशी पर आने वाली अधिवक्ता ने बताया कि आरक्षण कानूनों में संशोधन संविधान का उल्लंघन किया गया था। इसके बाद न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की दलीलं सुनने के बाद मार्च में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। आज इस प्रकरण में अंतिम आदेश सुनाया गया है।
बिहार की राजनीति, सरकारी योजनाएं, रेलवे अपडेट्स, शिक्षा-रोजगार अवसर और सामाजिक मुद्दों की ताज़ा खबरें पाएं। पटना, गया, भागलपुर सहित हर जिले की रिपोर्ट्स के लिए Bihar News in Hindi सेक्शन देखें — तेज़ और सटीक खबरें Asianet News Hindi पर।