उत्तर भारत की भयंकर ठंड में भी बिहार का राजनैतिक पारा चढ़ा हुआ है। नीतीश कुमार का राज्यपाल से मिलना, तेजस्वी यादव के साथ डेढ़ घंटे रहकर भी बात न करना कई तरह के संकेत दे रहा है।
Bihar Politics. बिहार का राजनैतिक घटनाक्रम जो संकेत दे रहा है, उससे साफ है कि नीतीश कुमार फिर से एनडीए के पाले में जा सकते हैं। सियासी गलियारों में हलचल यहां तक है कि इसी महीने की 28 तारीख बीजेपी राज्य में सरकार बना सकती है। नीतीश कुमार के लिए बीजेपी के नेता सुशील मोदी ने दरवाजे खोल दिए हैं और अपने बयानों से संकेत भी दिया है। वहीं डेढ़ घंटे एक साथ बिताने के बाद भी नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव में कोई बातचीत नहीं हुई। इससे साफ झलक रहा है कि राज्य में बदलाव होने वाला है।
बिहार में हलचल-दिल्ली में मीटिंग
बिहार के ताजा घटनाक्रम में जेडीयू ने पार्टी के सभी विधायकों को पटना बुला लिया है। जेडीयू ने अपने सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए हैं। 28 जनवरी को पटना में होने वाली जेडीयू की बड़ी रैली भी कैंसिल कर दी गई है। वहीं बीजेपी के नेता सुशील कुमार मोदी ने इशारों ही इशारों में नीतीश कुमार के लिए दरवाजे खोल दिए हैं। दिल्ली में अमित शाह की अगुवाई में बिहार के नेताओं की मीटिंग हो रही है। माथापच्ची इस बात हो रही है कि नीतीश कुमार को सीएम की कुर्सी ऑफर की जाए नहीं। इसी पर पेंच फंसा है। कुछ नेताओं का मानना है कि लोकसभा चुनाव को देखते हुए सीएम की कुर्सी बीजेपी को अपने पास रखनी चाहिए लेकिन इसके लिए नीतीश तैयार होंगे या नहीं यह बड़ा सवाल है।
अमित शाह ने संभाली कमान
बिहार में सियासी उठापटक की कमान दिल्ली में अमित शाह संभाल रहे हैं। दरअसल, बीजेपी की केंद्र सरकार ने जिस दिन कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने का ऐलान किया, उसी के बाद बिहार की राजनीति में हलचल बढ़ गई। इस सम्मान के बाद बीजेपी को बिहार में फायदा होता दिख रहा है और नीतीश कुमार भी समझ रहे हैं। दूसरा फैक्टर यह है कि प्रशांत किशोर लगातार आरजेडी की परिवारवादी राजनीति को निशाने पर ले रहे हैं और लालू-नीतीश दोनों को कटघरे में खड़ा करते हैं। नीतीश भी परिवारवाद के खिलाफ हैं। अब जल्द ही बिहार में बदलाव को देखा जा सकता है।
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