बिना सरकारी मदद, बिहार के इस गांव ने बना दी स्मार्ट सिटी जैसी व्यवस्था

Published : Jul 01, 2025, 03:30 PM IST
bihar satghara smart village transformation

सार

bihar Satghara village transformation: बिहार के सतघरा गांव में प्रवासी लोगों की मेहनत से स्मार्ट सुविधाएं उपलब्ध हैं। वाई-फाई, सीसीटीवी, स्मार्ट क्लासरूम, मुफ्त मेडिकल कैंप और सामुदायिक रसोई जैसी सुविधाएं बिना सरकारी मदद के उपलब्ध कराई गई हैं।

Bihar smart village development: बिहार के मधुबनी जिले में एक छोटा सा गांव है, सतघरा। दिखने में ये गांव भले ही आम लगे, लेकिन इसकी सुविधाएं किसी स्मार्ट सिटी से कम नहीं हैं। यहां वाई-फाई, सीसीटीवी कैमरा, स्मार्ट क्लासरूम, फ्री मेडिकल कैंप और बुजुर्गों के लिए कम्युनिटी किचन जैसी व्यवस्थाएं हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि इन सभी सुविधाओं के पीछे किसी सरकारी योजना का हाथ नहीं, बल्कि गांव के प्रवासी लोगों की मेहनत और लगन है।

प्रवासी ग्रामीणों की पहल से बदला गांव का चेहरा

इस बदलाव की कहानी शुरू हुई उन प्रवासी ग्रामीणों से, जो विदेशों में रहते हैं, लेकिन उनका दिल अपने गांव के लिए धड़कता है। अमेरिका में गूगल कंपनी में कार्यरत सुनील कुमार झा और अमेरिका के ही एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी संजय कुमार झा ने गांव की दशा देखकर बदलाव की ठानी। उन्होंने सूरत में रहने वाले अपने दोस्त और इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपर अरविंद चौधरी से संपर्क किया और मिलकर ‘सतघरा विकास फाउंडेशन’ की नींव रखी।

इंग्लैंड, कतर, बहरीन से जुड़ रहा है सहयोग

फाउंडेशन के साथ धीरे-धीरे इंग्लैंड, कतर, बहरीन सहित अन्य देशों में रहने वाले सतघरा के लोग जुड़ते गए। गांव के ही जिम्मेदार लोग भी इस मुहिम का हिस्सा बने। आज यह फाउंडेशन गांव के विकास की धुरी बन चुका है। गांव में 7 योजनाओं के तहत व्यापक स्तर पर विकास कार्य हो रहे हैं।

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बुजुर्गों के लिए रसोई, हर रविवार फ्री मेडिकल कैंप

गांव के बुजुर्गों के लिए सामूहिक रसोईघर की व्यवस्था की गई है जहां वे सम्मानपूर्वक भोजन कर सकते हैं। वहीं हर रविवार गांव में नि:शुल्क मेडिकल कैंप लगाया जाता है जिससे ग्रामीणों को इलाज के लिए शहर की ओर भागना नहीं पड़ता।

स्कूलों में स्मार्ट क्लास की शुरुआत

गांव के दो प्राथमिक विद्यालयों और एक प्लस टू स्कूल में स्मार्ट क्लास की व्यवस्था कर दी गई है। सतघरा विकास फाउंडेशन ने लगभग 6 लाख रुपये की लागत से यह काम पूरा किया, जिसमें प्रोजेक्टर, कंप्यूटर, इनवर्टर और डिजिटल संसाधन शामिल हैं। इसका लाभ विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर बच्चों को मिल रहा है।

व्हाट्सएप ग्रुप से चलता है गांव का मैनेजमेंट

फाउंडेशन का एक सक्रिय व्हाट्सएप ग्रुप है, जिसमें गांव के सभी लोग जुड़े हुए हैं। गांव की हर समस्या पहले ग्रुप में आती है, फिर 18 सदस्यों की कोर कमेटी उस पर निर्णय लेती है और तुरंत समाधान पर काम होता है। गांव के पारदर्शी संचालन के लिए फाउंडेशन का बैंक खाता भी है, जिससे हर खर्च और योगदान की जानकारी साझा की जाती है।

एक मिसाल बना सतघरा

बिना किसी सरकारी सहयोग के सतघरा गांव ने जो कर दिखाया है, वह देश के अन्य गांवों के लिए एक प्रेरणा है। यह साबित करता है कि अगर गांव के लोग ठान लें, तो बदलाव मुमकिन है। सतघरा अब सिर्फ एक गांव नहीं, बल्कि सामूहिक प्रयासों की एक प्रेरणादायक मिसाल है।

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