Vaishali News: बिहार के शिक्षा विभाग में जलेबी का 'जलजला', प्रिंसिपल को मिला कारण बताओ नोटिस

Published : Aug 16, 2025, 02:53 PM IST
khurma-biscuits jlebi

सार

Jalebi Replaced with Khurma: वैशाली ज़िले के एक स्कूल में स्वतंत्रता दिवस समारोह विवादों में घिर गया। प्रधानाध्यापक ने बिना किसी सूचना के ध्वजारोहण का समय बदल दिया और जलेबी की जगह खुरमा-बिस्कुट बांट दिए। जिले लेकर शिक्षा विभाग ने नोटिस जारी किया।

Bihar School Independence Day Controversy: वैशाली जिले के पटेढ़ी बेलसर स्थित उच्च विद्यालय चकगुलमुद्दीन में स्वतंत्रता दिवस समारोह को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। प्रधानाध्यापक जुल्फिकार अली खान ने बिना किसी को बताए कार्यक्रम में कई बदलाव कर दिए। जिसके लिए प्रधानाध्यापक को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

जलेबी की जगह बांटा गया खुरमा

दरअसल, हर साल की परंपरा के अनुसार, झंडोतोलन सुबह 9 बजे किया जाता था, लेकिन इस बार प्रिंसिपल ने सुबह 7:30 बजे झंडा फहरा दिया। यही नहीं जिस जगह पर हर साल ध्वजारोहण किया जाता था, उसे बदल कर दूसरे पर किया गया। इसके अलावा हर साल जहां पारंपरिक तरीके से जलेबी बांटी जाती थी उसकी जगह खुरमा और बिस्कुट का वितरित किया गया। इन बदलावों की जानकारी न तो छात्रों, न ही अभिभावकों और न ही ग्रामीणों को दी गई। इस वजह से कई लोग कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके। इस कार्यक्रम को लेकर स्थानीय लोगों में काफी गुस्सा है। स्थिति को शांत करने के लिए प्रखंड स्तर के अधिकारियों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।

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24 घंटे के अंदर मांगा गया स्पष्टीकरण

प्रशासन ने प्रधानाचार्य से 24 घंटे के भीतर स्पष्टीकरण मांगा है। उन्हें बताना होगा कि बिना किसी सूचना के समय, स्थान और प्रसाद में बदलाव क्यों किया गया। संतोषजनक उत्तर मिलने तक उनका वेतन रोक दिया गया है। यदि समय सीमा के भीतर स्पष्टीकरण नहीं मिला तो उनके विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी।

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15 अगस्त पर जलेबी खाने और बांटने की क्या है परंपरा

गरमागरम, कुरकुरी और चाशनी में डूबी जलेबी न सिर्फ़ स्वाद में लाजवाब होती है, बल्कि उत्सवों का भी एक अहम हिस्सा बन गई है। 15 अगस्त की सुबह झंडा फहराने के बाद, हर गली-मोहल्ले में जलेबी की खुशबू फैल जाती है। चाहे छोटे शहर का चौक हो या बड़े शहर की बस्ती, हर जगह लोग इसे खाते हैं और आज़ादी के जश्न के साथ-साथ इसकी मिठास का भी एहसास करते हैं।

आज़ादी और मिठाइयों का रिश्ता

इतिहासकार बताते हैं कि आज़ादी की लड़ाई के दौरान, जब किसी मोर्चे पर जीत हासिल होती थी, तो गाँव-गाँव में मिठाइयाँ बाँटी जाती थीं। अपनी आसान रेसिपी और लंबे समय तक ताज़ा रहने के कारण, जलेबी उस समय की एक लोकप्रिय मिठाई बन गई और तब से यह खुशी के मौकों का एक अभिन्न अंग रही है।

विविधता में स्वाद की एकता

भारत की खूबसूरती इसकी विविधता में निहित है और जलेबी इसका एक बेहतरीन उदाहरण है। कभी यह केसरिया रंग की होती है, कभी गाढ़ी इमरती के रूप में, तो कभी पतली और कुरकुरी। इसका रूप भले ही बदल जाए, लेकिन इसकी मिठास और लोगों का प्यार एक जैसा ही रहता है। यही कारण है कि इसे अनौपचारिक रूप से 'राष्ट्रीय मिठाई' कहा जाता है।

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