बिहार के जमुई में 'रंग-रूप' पर ताने मारने से दु:खी एक महिला ने सुसाइड कर ली। मृतका का पति केरल में मजदूरी करता है। वो जब भी फोन पर बात करता, तो ताने मारता कि तुम अच्छी नहीं दिखती हो। बार-बार यह बात सुनकर पत्नी टूट गई और उसने फांसी लगा ली।
जमुई. बिहार के जमुई में 'रंग-रूप' पर ताने मारने से दु:खी एक महिला ने सुसाइड कर लिया। मृतका का पति केरल में मजदूरी करता है। वो जब भी फोन पर बात करता, तो ताने मारता कि तुम अच्छी नहीं दिखती हो। बार-बार यह बात सुनकर पत्नी टूट गई और उसने फांसी लगा ली। सुसाइड का यह मामल सुर्खियों में है।
चौंकाने वाला यह मामला झाझा थाना क्षेत्र के बालापाडर करहरा गांव का है। 23 साल के श्रीराम मंडल की शादी सालभर पहले ही 22 साल की रानी से हुई थी। आरोप है कि श्रीराम अपनी पत्नी का रंग-रूप पसंद नहीं करता था। शादी के कुछ दिनों बाद से ही कपल में तनाव रहने लगा था। यही नहीं, ससुरालवाले भी रानी को ताने मारने लगे थे। श्रीराम उसे छोड़ने की धमकी देता रहता था।
इस बार केरल में मजदूरी कर रहे श्रीराम ने फोन करके रनी को फिर उलाहना दी। इस बार वो यह सब सहन नहीं कर सकी और फांसी लगा ली।
रानी के पिता सहदेव मंडल ने कहा कि उनका दामाद और समधी केरल में मजदूरी करते हैं। रानी जमुई में ही अपनी सास के साथ रहती थी। हालांकि उसकी सास भी उसे परेशान करती थी। गुरुवार को भी पति ने उसके रंग-रूप को लेकर बुरा बोल दिया था।
सहदेव मंडल ने बताया कि जब उन्होंने रानी को फोन किया, तो वो बहुत रो रही थी। हालांकि वो यह कहती रही कि उसकी तबीयत खराब है। जब उनका दिल नहीं माना, तो वे रानी को देखने उसकी ससुराल पहुंचे। वहां जाकर मालूम चला कि उसने फांसी लगा ली है। घर में सास नहीं थी। वो रानी को फंदे पर लटकता देखकर भाग गई। इस मामले में झाझा थानाध्यक्ष राजेश शरण ने कहा कि FIR दर्ज कर ली गई है। मामले की जांच की जा रही है।
इसी तरह के एक मामले में बिहार के औरंगाबाद के कुटुंबा के शिवपुर गांव के रहने वाले 21 साल के अंकित कुमार मालाकार ने तेलंगाना के जगदलपुर जिले के बेलकाटूर में एक पेड़ पर फंदा लगाकर सुसाइड कर लिया। वो वहां जीबीआर कंपनी में काम करता था। वो 20 दिन पहले ही घर से वापस काम पर लौटा था। वहां वो अपने बहनोई के साथ रहता था। माना जा रहा है कि यह मर्डर हो सकता है। उसे बिजली का करंट लगाकर या तेजाब छिड़कर मारा गया है। युवक एक मई से गायब था। युवक की अंतिम संस्कार तेलंगाना में ही किया गया। जबकि गांव में परंपराओं के हिसाब से उसका पुतला बनाकर अंतिम संस्कार किया गया।
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