Bihar SIR Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट के फैसले को विपक्ष ने बताई जीत, जानें क्या है सच्चाई

Published : Aug 15, 2025, 02:22 PM IST
Tejashwi Yadav on SC order

सार

Bihar Voter List Controversy: सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए ईसी को बूथवार 65 लाख हटाए गए मतदाताओं की सूची जारी करने का निर्देश दिया है। यह जानकारी ऑनलाइन, नोटिस बोर्ड और मीडिया में उपलब्ध कराई जाएगी। वहीं विपक्ष ने इसे अपनी जीत बता रहें।

Supreme Court On Bihar SIR: बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (14 अगस्त) को एक बेहद अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने चुनाव आयोग से उन 65 लाख मतदाताओं की सूची जारी करने को कहा है, जिनके नाम ड्राफ्ट सूची में शामिल नहीं हैं। विपक्ष इस फैसले को अपनी जीत बता रहा है, वहीं चुनाव आयोग ने भी निर्देशों का पालन करने पर सहमति जताई है। अब सवाल यह है कि क्या सुप्रीम कोर्ट ने वाकई विपक्ष की मांग पूरी कर दी है और इससे चुनाव आयोग को कितना झटका लगा है?

कोर्ट ने क्या निर्देश दिए हैं?

इतना ही नहीं, कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि यह जानकारी बूथवार दी जाए, ताकि मतदाता को उसके EPIC नंबर से खोजा जा सके। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को यह सूची जिला निर्वाचन अधिकारियों की वेबसाइट पर प्रकाशित करने का निर्देश दिया। इतना ही नहीं, यह सूची पंचायत भवन और खंड विकास पंचायत अधिकारियों के कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर भी चिपकाई जाएगी। इसके अलावा, यह सूची अखबारों और रेडियो पर भी प्रसारित की जाएगी, ताकि सभी लोगों को आसानी से जानकारी मिल सके। इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट ने आधार कार्ड को भी मान्यता दी है। हालांकि, कोर्ट ने यह नहीं कहा कि जिन लोगों के नाम हटाए गए हैं, वे सभी सिर्फ़ आधार कार्ड दिखाकर मतदाता बन जाएंगे। यह सिर्फ़ उन चंद लोगों के लिए है जिन्हें मृत घोषित कर दिया गया है और मतदाता सूची से हटा दिया गया है, लेकिन वे जीवित हैं। उन्हें यह सुविधा दी गई है कि वे पहचान के तौर पर आधार कार्ड प्रस्तुत कर सकते हैं।

क्या तेजस्वी की मांग पूरी हुई?

सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला आते ही बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने इसे अपनी जीत बताया। चुनाव आयोग पर निशाना साधते हुए उन्होंने सूत्रों के हवाले से एसआईआर की शुरुआत में घुसपैठ से जुड़ी ख़बरें लगाईं, लेकिन चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को दिए अपने हलफ़नामे में कहीं भी घुसपैठियों का ज़िक्र नहीं किया है। आज सबकी पोल खुल गई है। उन्होंने कहा कि यह लोकतंत्र की जीत है। वह सदन से सड़क तक लड़ेंगे और बिहार की जनता उनके साथ खड़ी है। अब सवाल यह है कि क्या वाकई सुप्रीम कोर्ट का फैसला तेजस्वी यादव के पक्ष में आया है? जवाब है- नहीं। दरअसल, राजद ने भी एसआईआर के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। राजद सांसद मनोज झा ने अपनी याचिका में एसआईआर को रद्द करने की मांग की है। उनका आरोप है कि यह प्रक्रिया जानबूझकर गरीब और वंचित समुदायों के लिए मतदाता सूची में नाम दर्ज कराना मुश्किल बनाने के लिए बनाई गई है। योगेंद्र यादव और टीएमसी समेत अन्य राजनीतिक दलों ने भी एसआईआर को रद्द करने की मांग की है। वहीं, सुप्रीम कोर्ट ने 6 अगस्त की सुनवाई में ही एसआईआर पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।

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एडीआर की याचिका में क्या है?

इस बीच, एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने एक याचिका दायर कर शीर्ष अदालत से मांग की है कि वह चुनाव आयोग को निर्देश दे कि वह चुनाव आयोग द्वारा एसआईआर के बाद जारी मसौदा सूची में छूट गए 65 लाख मतदाताओं के नामों का विवरण प्रकाशित करे। मसौदा सूची से हटाए गए लगभग 65 लाख मतदाताओं के नामों और विवरणों की विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र और भाग या बूथ-वार सूची प्रकाशित करें, जिसमें हटाए जाने के कारण (मृत्यु, स्थायी रूप से स्थानांतरित, डुप्लिकेट या गायब) शामिल हों।

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