
Bihar News: बिहार के वैशाली में बन रहे बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय-सह-स्मृति स्तूप का उद्घाटन जुलाई के अंतिम सप्ताह में होगा। इस ऐतिहासिक अवसर पर चीन, जापान, श्रीलंका, थाईलैंड, नेपाल, तिब्बत, म्यांमार, मलेशिया, भूटान, वियतनाम, कंबोडिया, मंगोलिया, लाओस, बांग्लादेश और इंडोनेशिया जैसे दुनिया के 15 बौद्ध देशों से बौद्ध भिक्षु वैशाली पहुंचेंगे।
550.48 करोड़ रुपये की लागत से 72 एकड़ भूमि पर निर्मित यह स्तूप परिसर पवित्र पुष्करणी तालाब और मिट्टी के स्तूप के पास विकसित किया गया है। वर्ष 1958-62 में हुई खुदाई में प्राप्त भगवान बुद्ध का अस्थि कलश इस स्मारक का मुख्य आकर्षण होगा, जिसे संग्रहालय की पहली मंजिल पर स्थापित किया जाएगा।
स्मृति स्तूप पूरी तरह से पत्थरों से बना है, जिसमें राजस्थान के वंशी पहाड़पुर से लाए गए 42,373 बलुआ पत्थरों को टंग एंड ग्रूव तकनीक से जोड़ा गया है। इसे आधुनिक भूकंपरोधी तकनीकों का उपयोग करके तैयार किया गया है ताकि यह हजारों वर्षों तक सुरक्षित रह सके। स्तूप के चारों ओर कुमुदिनी तालाब, आकर्षक मूर्तियां और सुंदर बागवानी इसे आकर्षक बनाती हैं।
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परिसर में ध्यान केंद्र, पुस्तकालय, आगंतुक केंद्र, संग्रहालय ब्लॉक, एम्फीथिएटर, कैफेटेरिया, सौर ऊर्जा संयंत्र (500 किलोवाट), पार्किंग और अन्य सुविधाएं भी विकसित की गई हैं। ओडिशा के कलाकारों द्वारा बनाई गई भगवान बुद्ध की प्रतिमा यहां की एक विशिष्ट पहचान बनेगी।
यह स्तूप न केवल बौद्ध अनुयायियों के लिए श्रद्धा का केंद्र बनेगा, बल्कि वैशाली को विश्व बौद्ध पर्यटन मैप पर एक विशिष्ट स्थान भी दिलाएगा। स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देने के साथ-साथ यह स्मारक बिहार के सांस्कृतिक और पर्यटन विकास में एक नया अध्याय जोड़ेगा।
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