
पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में एक बड़ा और अनोखा अभियान शुरू करने का ऐलान किया है। इस बार पार्टी का घोषणापत्र सिर्फ नेताओं या रणनीतिकारों की सोच से नहीं बनेगा, बल्कि जनता की राय और सुझावों से तय होगा कि आने वाले पांच सालों में बिहार का रोडमैप कैसा होना चाहिए।
बीजेपी ने इस पहल का नाम रखा है ‘जन घोषणापत्र अभियान’। इस अभियान का उद्देश्य है कि राज्य के प्रत्येक नागरिक, चाहे वह युवा हो, महिला हो, किसान हो या व्यवसायी, अपनी राय और सुझाव पार्टी तक पहुँचा सके। पार्टी के नेतृत्व का कहना है कि इस बार का घोषणापत्र वाकई जनता का दस्तावेज़ होगा, न कि केवल पार्टी की रणनीति का परिणाम।
जनता के सुझाव जुटाने के लिए बीजेपी ने इस बार कई रास्ते अपनाए हैं। सबसे पहले, राज्य के सभी 38 जिलों में विधानसभा क्षेत्रवार सुझाव पेटियां लगाई जाएंगी। इसके अलावा, पार्टी ने मोबाइल और मिस कॉल सिस्टम भी तैयार किया है। लोग एक निश्चित नंबर पर मिस कॉल देकर अपनी राय दर्ज करवा सकते हैं, और इसके साथ ही डिजिटल फॉर्म के माध्यम से भी सुझाव भेज सकते हैं।
बीजेपी प्रवक्ता सुरेश गुप्ता ने बताया कि जनता अपने सुझाव पेटी में या मोबाइल/डिजिटल माध्यम से किसी भी मुद्दे पर राय दे सकती है। चाहे वह शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, सड़क निर्माण या किसी सामाजिक सेवा से जुड़ा हो। पार्टी का दावा है कि कोई भी वर्ग या समुदाय नहीं छोड़ा जाएगा, हर व्यक्ति अपनी राय को सीधे पार्टी तक पहुंचाने में सक्षम होगा।
पार्टी की योजना है कि 5 अक्टूबर से 30 अक्टूबर तक पूरे बिहार में यह अभियान चले। इसके तहत बिहार के प्रत्येक जिले में पार्टी के ज़िला अध्यक्ष और विशेष प्रतिनिधि जनता से सीधे मिलेंगे। किसान, युवा, महिलाएं, व्यापारी, शिक्षक और समाज के विभिन्न वर्गों के लोग अपनी राय दे सकेंगे।
बीजेपी राज्यसभा सांसद मनन मिश्रा ने कहा कि अभियान का मकसद सिर्फ सुझाव जुटाना नहीं है, बल्कि हर वर्ग की वास्तविक समस्याओं और अपेक्षाओं को समझना है। इसके बाद ही अंतिम घोषणापत्र तैयार किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य है कि जनता की समस्याओं और सुझावों के आधार पर एक ऐसा घोषणापत्र सामने आए, जो बिहार की जनता के जीवन और भविष्य को सीधे प्रभावित करे।”
बीजेपी ने इसके लिए विस्तृत कार्यक्रम भी तैयार किया है। 8 अक्टूबर को प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से जनता को अभियान की जानकारी दी जाएगी। इसके बाद 9 अक्टूबर को युवा सम्मेलन, 10 अक्टूबर को महिला सम्मेलन, 13 अक्टूबर को किसान सम्मेलन, और 14 अक्टूबर को इंटरपीरियर सम्मेलन आयोजित किए जाएंगे। इन सम्मेलनों में विभिन्न क्षेत्रों और वर्गों के प्रतिनिधियों की राय ली जाएगी, ताकि घोषणापत्र हर समुदाय और वर्ग की मांगों को प्रतिबिंबित कर सके।
पार्टी का कहना है कि यह अभियान बिहार के नागरिकों को अपनी आवाज़ उठाने का अवसर देगा और उन्हें विश्वास दिलाएगा कि उनकी राय मायने रखती है। जिलों में मौजूद पार्टी प्रतिनिधि सुझावों को डिजिटल माध्यम से अपलोड करेंगे, ताकि प्रक्रिया स्वच्छ, पारदर्शी और ट्रैक करने योग्य हो।
अधिकारियों और पार्टी नेताओं का कहना है कि इस बार का घोषणापत्र सिर्फ दस्तावेज़ नहीं होगा, बल्कि बिहार की जनता की सोच, अपेक्षाओं और जरूरतों का आईना होगा। पिछले दो दशकों में राज्य में जो विकास हुआ, उसकी समीक्षा के बाद अब जनता को शामिल करके ही अगले पांच साल की योजना बनाई जाएगी।
बीजेपी का यह कदम चुनावी रणनीति में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है। यह जनता को सक्रिय रूप से प्रक्रिया में शामिल करता है और पार्टी के प्रति विश्वास और समर्थन बढ़ाने में मदद करेगा। इस तरह, बिहार का पहला ऐसा अभियान चलने जा रहा है जिसमें जनता स्वयं यह तय करेगी कि सरकार अगले पांच सालों में किन मुद्दों और योजनाओं पर फोकस करे।
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